‘‘पा पा, कल संडे है न?’’ मेरे घर आते ही पलक ने पूछा.
‘‘हां बेटे, संडे है तो क्या हुआ?’’ मैं ने उस के पास बैठते हुए सवाल किया.
‘‘आप का संडे का दिन मेरे नाम होता है न, पापा,’’ उस ने प्यार से कहा.
‘‘हां बेटा, मेरा संडे आप के नाम ही होता है.’’
‘‘तो इस संडे हम गुलशन के घर जा रहे हैं.’’
‘‘गुलशन कौन है?’’ मैं ने सवाल किया.
‘‘अरे बाबा, वही मेरी बैस्ट फ्रैंड. आप उसे कैसे भूल सकते हो?’’
पलक ने नाराज होने का नाटक करते हुए कहा.
‘‘ओके, ओके. लेकिन मैं क्यों जा रहा हूं तुम्हारी फ्रैंड के घर?’’ मैं ने चौंकते हुए अगला सवाल किया.
‘‘इसलिए पापा क्योंकि कल गुलशन का बर्थडे है.’’
‘‘मगर बर्थडे में तो बच्चे जाते हैं न. आप की दोस्त है तो आप जाओ. मैं क्यों जाऊं आप के साथ?’’
‘‘क्योंकि गुलशन की मम्मी चाहती हैं कि आप भी आओ. उन्होंने आप को स्पैशली इनवाइट किया है,’’ पलक ने बात क्लियर की.
‘‘मगर, मु झे क्यों इनवाइट किया है उन्होंने? मैं ने अचरज से पूछा.
‘‘क्योंकि गुलशन की मम्मी आप को बहुत पहले से जानती हैं.’’
‘‘बहुत पहले से जानती हैं, मगर मैं तो नहीं जानता.’’
‘‘अरे पापा, मामला कुछ यह है कि उस दिन हम घूमने गए थे न. बस, उस की तसवीरें मैं ने अपने व्हाट्सऐप पर लगाई थीं और वे तसवीरें जब गुलशन देख रही थी तो उस की मम्मी भी उस के पास बैठी थी. उन्होंने भी तसवीरें देखीं और आप को देखते ही पहचान लिया. आप उन के पुराने क्लासमेट हो न,’’ पलक ने विस्तार से सारी बात बताई.
‘‘क्लासमेट, मगर क्या नाम है तुम्हारी फ्रैंड की मम्मी का?’’ मु झे अभी भी बात क्लियर नहीं हुई थी.