उस बालक को मानो सेब के उस पेड़ से स्नेह हो गया था और वह पेड़ भी बालक के साथ खेलना पसंद करता था. समय बीता और समय के साथसाथ नन्हा सा बालक कुछ बड़ा हो गया. अब वह रोजाना पेड़ के साथ खेलना छोड़ चुका था. काफी दिनों बाद वह लड़का पेड़ के पास आया तो बेहद दुखी था.

‘‘आओ, मेरे साथ खेलो,’’ पेड़ ने लड़के से कहा.

‘‘मैं अब नन्हा बच्चा नहीं रह गया और अब पेड़ पर नहीं खेलता,’’ लड़के ने जवाब दिया, ‘‘मुझे खिलौने चाहिए. इस के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं. मैं पैसे कहां से लाऊं?’’

‘‘अच्छा तो तुम इसलिए दुखी हो?’’ पेड़ ने कहा.

‘‘मेरे पास पैसे तो नहीं हैं, पर तुम मेरे सारे सेब तोड़ लो और बेच दो. तुम्हें पैसे मिल जाएंगे.’’

यह सुन कर लड़का बड़ा खुश हुआ. उस ने पेड़ के सारे सेब तोड़ लिए और चलता बना. इस के बाद वह लड़का फिर पेड़ के आसपास दिखाई नहीं दिया. पेड़ दुखी रहने लगा.

अचानक एक दिन लड़का फिर पेड़ के पास दिखाई दिया. वह अब जवान हो रहा था. पेड़ बड़ा खुश हुआ और बोला, ‘‘आओ, मेरे साथ खेलो.’’

‘‘मेरे पास खेलने के लिए समय नहीं है. मुझे अपने परिवार की चिंता सता रही है. मुझे अपने परिवार के लिए सिर छिपाने की जगह चाहिए. मुझे एक घर चाहिए. क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?’’ युवक ने पेड़ से कहा.

‘‘माफ करना, मेरे बच्चे, मेरे पास तुम्हें देने के लिए कोई घर तो नहीं है, हां, अगर तुम चाहो तो मेरी शाखाओं को काट कर अपना घर बना सकते हो.’’

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