Hindi Satire : भई आजकल के ऐंकर, तोबा, चेहरे पर ऐसी गंभीरता, जैसे पूरे देश का भविष्य उन के माथे की सिलवटों पर टिका हो. सवाल पूछते हैं तो इस अंदाज में, मानो पहले ही तय कर चुके हों कि सामने वाला गुनाहगार है- जवाब नहीं सुनना, बस गवाही चाहिए और वह भी लाइव टैलीविजन पर.एक समय था जब टीवी ऐंकर अपने संयमित स्वर और अपनी तटस्थता के लिए जाना जाता था. और आज? आज का ऐंकर ऐसा प्राणी है जो गला बैठने तक बोलता है लेकिन मुद्दे पर नहीं. उस की आवाज में बिजली होती है तो विचारों में अकसर शौर्ट सर्किट. टीवी स्टूडियो अब बहस का मंच नहीं, डब्लूडब्लूई का रिंग व ध्वनि का अखाड़ा बन चुका है जहां हर पैनलिस्ट माइक लिए युद्धभूमि में है और ऐंकर उन का रैफरी नहीं बल्कि खुद मुख्य योद्धा है. अब ऐंकर माइक नहीं, दहाड़रूपी तेज ढोलक ले कर बैठता है ताकि उस के शोर में वह जिस की बात नहीं सुनना चाहता, न सुने. मुद्दा क्या है, किसे सुनना है, कौन तथ्य पर बोल रहा है, आदि सब गौण हो चुके हैं. ऐंकर का मकसद अब तथ्य पेश करना या सूचना देना नहीं बल्कि सनसनी फैलाना हो गया है.
आज के ऐंकर को देख लगता है कि उस के पास मेकअप की छह परतें हैं जिन में मुद्दा भटक जाए और पक्षपात निखर आए. स्क्रिप्ट की केवल 2 लाइनें होती हैं. चेहरे पर पौलिश ऐसी कि जिसे देख आईना भी शरमा जाए. वह किसी को भी बीच में रोक देने के सब से बड़े हथियार से लैस होता है. विपक्ष बोलने लगे तो प्लीजप्लीज मुझे बीच में स्पष्ट करना होगा और जब पसंदीदा प्रवक्ता बोले, तो सर, आप तो पूरा कीजिए, बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न खड़ा कर दिया है.
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