बैजू की साली राधा की शादी बैजू के ताऊ के बेटे सोरन के साथ तय हो गई. बैजू और उस की पत्नी अनोखी नहीं चाहते थे कि यह शादी हो, पर सोरन के बड़े भाई सौदान ने राधा के भाई बिल्लू को बिना ब्याज के कर्ज दे कर यह सब जुगाड़ बना लिया था. अब ऊपरी खुशी से बैजू और अनोखी इस शादी को कराने में जुट गए. शादी से पहले ही राधा ने जीजा से अपने लिए एक रंगीन टीवी उपहार में मांग लिया.

बैजू ने दरियादिली से मान लिया, पर जब अनोखी ने सुना, तो वह जलभुन गई. घर आते ही वह आंखें तरेर कर बोली, ‘‘अपने घर में कालासफेद टैलीविजन नहीं और तुम साली को रंगीन टीवी देने चले हो.

‘‘चलो, सिर्फ साली को देते तो ठीक था, लेकिन उस की शादी में टीवी देने का मतलब है कि सोरन के घर टीवी आएगा. हम टीवी दे कर भी बिना टीवी वाले रहेंगे और सोरन बिना पैसा दिए ही टीवी देखने का मजा उठाएगा.

‘‘तुम आज ही जा कर राधा से टीवी के लिए मना कर दो, नहीं तो मेरीतुम्हारी नहीं बनेगी.’’

बैजू अनोखी की बात सुन कर सकपका गया. उसे तो खुद टीवी देने वाली बात मंजूर नहीं थी, लेकिन राधा ने रंगीन टीवी उपहार में मांगा, तो वह मना न कर सका.

समाज के लोग कहेंगे कि मर्द हो कर अपनी जबान का पक्का नहीं है. यह भी कहेंगे कि वह औरत की बातों में आ गया. सब उसे जोरू का गुलाम कहेंगे.

बैजू इतना सोच कर अपनी बीवी के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘अनोखी, मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं. इतने पर भी तू न माने, तो मैं तेरे पैरों में गिर जाऊंगा. इस बार की गलती के लिए मुझे माफ कर दे. आगे से मैं तुझ से पूछे बिना कोई काम न करूंगा.

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