0:00
12:24

‘‘प्लीज राघव, मैं अब सोने जा रही हूं. बाहर काफी ठंड है. बाद में बात करते हैं,’’ रितिका ने राघव को समझाया.

सचमुच रितिका को ठंड लग गई थी. पूरा दिन औफिस में खटने के बाद कमरे में मोबाइल पर बात करना तक संभव नहीं था. कारण, वह पीजी में रहती थी. एक कमरा 3 युवतियां शेयर करती थीं. वह तो पीजी की मालकिन अच्छी थीं जो ज्यादा परेशान नहीं करती थीं वरना रितिका इस से पहले 3 पीजी बदल चुकी थी. राघव को उस की परेशानी का भान था पर फिर भी वह उसे बिलकुल नहीं समझता था.

रितिका ने राघव को कई बार दबे स्वर में विवाह के लिए कहना शुरू कर दिया था परंतु वह बड़ी सफाई से बात घुमा देता था. रितिका डेढ़ साल पहले करनाल से दिल्ली नौकरी करने आई थी. रहने के लिए रितिका ने एक पीजी फाइनल किया. जहां उस की रूममेट रिंपी थी जो पंजाब से थी. कमरा भी ठीक था. नई नौकरी में रितिका ने खूब मेहनत की.

रितिका तो दिन भर औफिस में रहती थी, पर रिंपी के पास कोई काम नहीं था. सो वह दिन भर पीजी में ही रहती थी. कभीकभी बाहर जाती तो देर रात ही वापस आती. ऐसे में रितिका चुपके से उस के लिए दरवाजा खोल देती. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती जा रही थी. अब रिंपी ने अपने दोस्तों से रितिका को भी मिलवाना शुरू कर दिया था. राघव से भी रिंपी के जरिए ही मुलाकात हुई. तीनों शौपिंग करते, लेटनाइट डिनर और डिस्क में जाते.

पीजी मालकिन ने अचानक दोनों युवतियों को लेटनाइट आते देख लिया. उस ने कुछ कहा तो रितिका ने पीजी मालकिन से झगड़ा कर दिया. उस दिन उस ने शराब पी रखी थी. फिर क्या था, रितिका को पीजी छोड़ना पड़ा. उस के बाद रितिका ने 2 पीजी और बदले. रिंपी भी पंजाब वापस चली गई थी. उस के मातापिता ने उस का रिश्ता पक्का कर दिया था. आज शाम को रितिका को राघव के साथ बाहर जाना था. राघव ने फोन पर कई बार उस से कहा था कि अपनी फ्रैंड्स को भी साथ में लाए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...