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‘‘मेरे दुखी होने से आप को क्या फर्क पड़ेगा,’’ उस ने उपेक्षा के भाव से कहा. उस की बात सुन कर मुझे दुख हुआ. क्या यह जानबूझ कर मेरे मन को दुख पहुंचा रही थी, ताकि उसे पता चल सके कि मैं उस के बारे में कितना चिंतित रहता हूं. किसी के बारे में सोचना, उस का खयाल रखना और उस को ले कर चिंतित होना प्यार के लक्षण हैं. वह शायद इन्हें ही जानना चाहती थी. उस के व्यवहार से मैं इतना तो समझ ही गया था कि वह मेरे बारे में सोचती है, परंतु किसी मजबूरी या कारणवश अपने हृदय को मेरे सामने खोलना नहीं चाहती थी. क्या इस का कारण मेरा शादीशुदा होना था?

‘‘मेरे दुख का तुम अंदाजा नहीं लगा सकती,’’ मैं ने बेचारगी के भाव से कहा.

‘‘15 दिनों के बाद जब मैं चली जाऊंगी, तब देखूंगी कि आप मुझ को ले कर कितना दुखी और चिंतित होते हैं,’’ उस ने लापरवाही से कहा.

‘‘तब तुम मेरा दुख किस प्रकार महसूस करोगी.’’

‘‘कर लूंगी, अपने हृदय से. कहते हैं न कि दिल से दिल की राह होती है. जब आप दुखी होंगे तब मेरे दिल को पता चल जाएगा.’’

कहतेकहते उस की आवाज नम सी हो गई थी. मैं ने देखा उस की आंखों में गीला सा कुछ चमक रहा था, वह अपने आंसुओं को रोकने का असफल प्रयास कर रही थी. अब मेरे मन में कोई शक नहीं था कि वह सचमुच मुझे प्यार करती थी, परंतु खुल कर हम दोनों ही इसे न तो कहना चाहते थे, न स्वीकार करना. मजबूरियां दोनों तरफ थीं और इन को तोड़ पाना लगभग असंभव था.

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