घर से अचानक गायब हुए गणपत टेलर के कपड़े 2-3 दिन के बाद गांव से 2 कोस की दूरी पर नदी के किनारे मिलने से जैसे गांव में हड़कंप मच गया. गणपत टेलर के घर में इस खबर के पहुंचते ही उस की बूढ़ी मां शेवंताबाई छाती पीटने लगी, तो बीवी अनुसूया अपने दोनों बच्चों को गले लगा कर रोने लगी. गणपत टेलर हंसमुख और नेक इंसान था. उस के बारे में उक्त खबर पूरे गांव में फैल गई. लोग अपनेअपने तर्क देने लगे. कोई कह रहा था कि गणपत नहाने के लिए उतरा होगा तभी पैर फिसलने से गिर गया होगा. तो कोई कह रहा था कि नहाने के लिए भला वह इतनी दूर क्यों जाएगा. उन्हीं में से एक ने कहा, गणपत तो अच्छा तैराक था. कई बार बाढ़ के पानी में भी उतर कर उस ने लोगों को बचाया था. इन तर्कों में कुछ भी तथ्य नहीं है, यह बात जल्द ही सब की समझ में आ गई.

घर में गणपत जैसा सुखी आदमी ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलने वाला था. बहू, बेटा और पोतेपोतियों से प्रेम करने वाली मां, अनुसूया जैसी सुंदर और मेहनती पत्नी, 2 सुंदर बच्चे और खापी कर आराम से जिंदगी जीने के लिए पैसा देने वाला टेलरिंग का कारोबार. ऐसा आदमी कैसे और क्यों अपनी जान देगा? जितने मुंह उतनी बातें.गांव के बड़ेबुजुर्गों ने थाने में गणपत के गायब होने की रपट लिखा दी. पुलिस वालों ने खोजबीन शुरू कर दी. तैराक बुला कर नदी में खोजा गया लेकिन कोई सुराग भी न मिला.10-15 दिन ऐसे ही बीत गए. गणपत को जमीन निगल गई या आकाश खा गया, किसी को कुछ पता नहीं. जाने वाला तो चला गया लेकिन अपने पीछे वाले लोगों के सिर पर जिम्मेदारी व चिंता का बोझ छोड़ गया.

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