जिस का डर था वही हुआ. सभी के चेहरों पर हताशा की लकीरें उभर आईं. कुछ चेहरे तो एकदम लटक गए, जिन्हें चुनाव के अगले दिन दूसरे शहर में जा कर सुबह 9 बजे पदोन्नति की लिखित परीक्षा देनी थी. चुनावी ड्यूटी के आदेश जिला निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त हो गए थे. किसी भी कर्मचारी को छोड़ा नहीं गया था. पूरे जिले के बैंक कर्मचारियों के नाम चुनावी ड्यूटी की सूची में थे.

सुगबुगाहट थी कि बैंक कर्मचारियों पर राज्य चुनाव आयोग को ज्यादा भरोसा है, राज्य कर्मचारियों पर कम. सुगबुगाहट चल ही रही थी कि फरमान आ गया कि किसी भी कर्मचारी का चुनावी प्रक्रिया पूर्ण होने तक अवकाश न स्वीकार किया जाए. साथ में एक पुलिंदा भी, जिस में बैंक की शाखा के सभी कर्मचारियों के नाम आदेशपत्र थे कि चुनावी प्रशिक्षण के लिए अनिवार्य रूप से उपस्थित हों, जो अगले दिन रविवार को पुलिसलाइन में आयोजित है.

रविवार के दिन प्रशिक्षण को ले कर बहुतों के मन में खिन्नता उभरने लगी. भरत के चेहरे पर इस का प्रभाव स्पष्ट झलकने लगा. भरत हैं भी बहुत संवेदनशील. सभी उन्हें कोमल तनमन वाला आदमी कहते हैं. कार्यालय में उन की ड्यूटी सर्वर रूम में रहती है जो पूरी तरह वातानुकूलित रहता है. उन के घर में एअरकंडीशनर है. आनेजाने के लिए स्वयं की एअरकंडीशंड कार है. ऐशोआराम की जिंदगी जीने की उन की आदत है.

रविवार के प्रशिक्षण में 2-3 घंटे का समय लगा. सामान्य जानकारी और चुनावी ड्यूटी के दायित्व और महत्त्व को एक रटेरटाए भाषण की तरह सुना कर सभी को मुक्त कर दिया गया. हां, उपस्थिति अनिवार्य रूप से दर्ज करवाई गई. सभी को अपने दायित्व और आरंभ हो चुकी गरमी का एहसास हो गया. चुनाव की तिथि 3 सप्ताह बाद आने वाली थी. सभी गरमी के मौसम को ले कर चिंतित थे कि आने वाले समय में गरमी अपने चरम पर होगी, तब क्या हाल होगा.

चुनावी ड्यूटी से बचने के लिए कुछ लोग जुगाड़ में लग गए. किसी ने बताया कि 1 हजार रुपए खर्च करने से चुनाव ड्यूटी कट जाएगी. भरत ने खुला औफर दे दिया, ‘‘2 हजार रुपए दूंगा, मेरी ड्यूटी कटवा दो.’’

किसी ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई प्रयास सफल नहीं होने वाला. जिले के कर्मचारी ही कम पड़ रहे हैं. कुछ कर्मचारी अन्य जिलों से बुलाने पड़ रहे हैं.

बैंक कर्मचारियों ने अपनी चुनाव ड्यूटी कटवाने की बात यूनियन के स्थानीय नेताओं के सामने रखी परंतु नेताओं की भी ड्यूटी लगी हुई थी, वे अपनी बात किस से कहते. अंतत: यह तय हुआ कि कुछ जैनुइन समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए. उन के बीच 2 उत्साही कर्मचारी थे, जिन्हें सभी नेता कह कर उन का मान बढ़ाते थे. उन्हीं दोनों को समाधान के लिए आगे बढ़ाया गया. वे जिला स्तर के निर्वाचन अधिकारियों के पास गए. बड़ी मुश्किल से उन की बात सुनने के लिए थोड़ा सा समय दिया गया.

‘‘सर, चुनाव कार्य में बैंककर्मियों की ड्यूटी लग जाने से बैंक का कार्य पूरे जिले में ठप हो जाएगा.’’

‘‘चुनाव के दिन सार्वजनिक अवकाश है, जो नेगोशिएबल इंस्ट्रूमैंट एक्ट के तहत होगा. आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है,’’ टकाटक उत्तर मिला.

‘‘सर, चुनाव के 1 दिन पहले बैंककर्मियों को चुनाव ड्यूटी पर भेजा जाएगा तो उस दिन तो काम ठप हो ही जाएगा. जनता को बहुत परेशानी होगी.’’

‘‘जब बैंककर्मी हड़ताल पर जाते हैं तो उस समय जनता की परेशानी की चिंता नहीं सताती?’’ मुंह बंद कर देने वाला प्रश्न उछल कर सामने आया.

‘‘सर, चुनाव के ठीक अगले दिन हमारे अधिकतर साथियों की पदोन्नति परीक्षा है, जो दूसरे शहर में जा कर सुबह 9 बजे से है. उस का क्या होगा? उन के भविष्य और कैरियर का सवाल है.’’

‘‘सब रात में फ्री हो जाएंगे. सुबह आराम से पहुंच कर परीक्षा दे सकते हैं. उन्हें कोई नहीं रोकेगा.’’

‘‘सर, यह व्यवस्था करवा दीजिए कि सब से पहले हमारे साथियों की वोटिंग मशीनें जमा करवा ली जाएं. ज्यादा से ज्यादा 9-10 बजे तक उन्हें फ्री कर दिया जाए,’’ पूरे समर्पण भाव से प्रार्थना की गई.

‘‘ऐसी कोई व्यवस्था का आश्वासन नहीं दिया जा सकता. यह तो आप लोगों की तेजी पर निर्भर करता है कि कितनी जल्दी काम समाप्त कर पाते हैं. पोलिंग तो ठीक 5 बजे समाप्त हो जाएगी. पोलिंग पार्टियों को वापस लाने की हमारी चौकस व्यवस्था है.’’

‘‘सर, हमारे 3 साथियों की नितांत व्यक्तिगत समस्याएं हैं, कृपया उन्हें सुन लें.’’

‘‘कहिए, जल्दी कहिए, हमारे पास समय नहीं है.’’

‘‘सर, हमारे एक साथी के बेटे की चुनाव के दिन ही शादी है. उन्हें अगर इस ड्यूटी से मुक्ति मिल जाती तो…’’

‘‘चुनाव के दिन शादी? यह तो अपनेआप बुलाई गई समस्या है. उस दिन वाहन नहीं चलेंगे. रास्ते बंद होंगे. उन से कहो कि कोई और तारीख में शादी कर लें. सब की ड्यूटी तय हो चुकी है. इस स्टेज पर कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है.’’

‘‘सर, उन के बेटे की शादी का पूरे साल में यही एक मुहूर्त है. यह शादी टालना मुश्किल है.’’

‘‘देखिए, शादी नहीं टल सकती तो चुनाव ड्यूटी भी नहीं टल सकती. आप जल्दी से अपनी दूसरी समस्या बताइए,’’ सख्ती से जवाब मिला.

‘‘सर, दूसरी समस्या है, हमारे एक बुजुर्ग साथी हैं, जिन का रिटायरमैंट चुनाव के दिन ही है. लंबी बीमारी से उठे हैं. चलनेफिरने में ही उन्हें बहुत कष्ट होता है. चुनाव की ड्यूटी करना उन के वश के बाहर है. अगर आप की कृपा हो जाए तो…’’

‘‘ठीक है, इस स्टेज पर उन की ड्यूटी तो काट नहीं सकते. उन्हें रिजर्व में रख देते हैं. उन का नाम व नंबर स्टैनो को नोट करा दीजिए और फटाफट अपनी तीसरी और आखिरी समस्या बताइए, हमारे पास समय नहीं है,’’ आदेशात्मक वाक्य में अधीरता स्पष्ट थी.

‘‘सर, हमारे एक साथी हार्ट पेशेंट हैं…’’

‘‘बैंक में ड्यूटी करते हैं कि नहीं?’’

‘‘करते हैं सर, लेकिन कभीकभी उन की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती है. अगर चुनाव ड्यूटी के दौरान कुछ हो गया तो उन्हें कैसे संभाला जाएगा?’’

‘‘ठीक है, वे जिला अस्पताल में जा कर डाक्टरों के पैनल से मैडिकल रिपोर्ट लें, फिर उन के मामले पर विचार किया जा सकता है. अब आप लोग जाइए. चुनाव ड्यूटी के बारे में अब कोई बात करने की कोशिश न करें. जो आदेश मिलें उन का पालन करें. आप सब की भलाई इसी में है,’’ एक चेतावनी मुखरित हुई.

नेताद्वय के पास धन्यवाद व्यक्त करने के सिवा कुछ नहीं था. वापस आ कर उन्होंने अपने साथियों को बताया कि आप लोग चुनावी ड्यूटी के लिए कमर कस कर तैयार रहें. भरतजी को खासतौर पर बताया कि वे साहस बनाए रखें. परेशान न हों, बचाव का कोई रास्ता नहीं. भरतजी के बारे में नेताओं के पास बात करने की हिम्मत ही नहीं पड़ी कि वे हिंदी में काम नहीं कर सकते.

‘‘हां, जयपालजी, आप के लिए रास्ता निकल गया है. आप जिला अस्पताल जा कर डाक्टरों के पैनल से अपना चैकअप करवा लें और रिपोर्ट ले कर जिला निर्वाचन कार्यालय बेधड़क चले जाएं. आप तो वास्तव में हार्ट पेशेंट हैं. अपनी पिछली सारी मैडिकल रिपोर्ट और इलाज के पर्चे साथ ले जाएं. डा. अनुराग का अपने बैंक में आनाजाना है. हम उन का काम तुरंत कर देते हैं, वे भी आप का काम तुरंत करवा देंगे. बहुत भले आदमी हैं.’’

जयपालजी अपने इलाज की मोटी फाइल बगल में दबाए जिला अस्पताल पहुंच गए. डा. अनुराग से मिले.

डा. अनुराग की तत्परता के कारण वे डाक्टरों के पैनल के सामने शीघ्र पेश कर दिए गए. अन्य 2 डाक्टरों ने भी उन की फाइल उलटीपलटी और उन का कोई चैकअप नहीं किया गया. यह भी स्पष्ट कर दिया कि उन के पक्ष में रिपोर्ट मिल जाएगी पर इस काम के लिए 1,500 रुपए लगेंगे.

जयपालजी को यह जान कर अटपटा लगा कि काम तो यह सरकारी है, फिर 1,500 रुपए किस बात के. उन्होंने प्रश्नभरी दृष्टि से डा. अनुराग को देखा तो डा. अनुराग ने कहा, ‘‘जयपालजी आप असमंजस में न पड़ें. मेरे चैंबर में जा कर बैठें. मैं थोड़ी देर में आप के पास आता हूं. कुछ और केस निबटाने हैं.’’

जयपालजी कमरे से बाहर निकले तो देखा कि उन की तरह इलाज की मोटीमोटी फाइल लिए बीमार से लगने वाले कुछ लोग पैनल के सामने पेश होने को लाइन में खड़े थे.

1 घंटा बीत जाने के बाद डा. अनुराग अपने चैंबर में आए तो जयपालजी कुरसी से खड़े होने लगे. आते ही उन्होंने कहा, ‘‘बैठिएबैठिए, सब ठीक है. हम लोगों ने आप के फेवर में रिपोर्ट तैयार करने को रिकमंड कर दिया है.’’

‘‘थैंक्यू, डाक्टर साहब, लेकिन 1,500 रुपए की डिमांड की गई है…’’ दबी जबान में जयपालजी कह पाए.

‘‘देखिए जयपालजी, आप वाकई बीमार हैं, हार्ट पेशेंट हैं. ज्यादा टैंशन न लें. इलैक्शन ड्यूटी आप की सेहत के लिए ठीक नहीं है.’’

‘‘लेकिन डाक्टर साहब 1,500…’’

‘‘1,500 कोई ज्यादा नहीं हैं, भई 3 डाक्टर्स इस पैनल में हैं. सभी अपनाअपना काम छोड़ कर लगे हैं. 1,500 ज्यादा लगते हैं तो मैं अपनी फीस छोड़ देता हूं. आप 1 हजार रुपए दे दीजिए.’’

‘‘पर डाक्टर साहब, मेरे पास तो 1 हजार भी नहीं हैं इस समय…’’

‘‘कोई बात नहीं, कितने हैं?’’

‘‘800.’’

‘‘ठीक है, 800 ही दे कर आप छुटकारा पा लीजिए,’’ बड़ी सफाई से डील फाइनल करते हुए उन्होंने कौलबैल का बटन दबाया.

‘टन’ की आवाज होते ही हाजिर हुए चपरासी को आदेश दिया, ‘‘इन साहब को ले जाइए, इन का सर्टिफिकेट तुरंत बनवा दीजिए.’’

जयपालजी की जेब तो जरूर हलकी हुई लेकिन उन के पक्ष में जारी हुई मैडिकल रिपोर्ट उन्हें ज्यादा भारी लग रही थी.

चुनाव अप्रैल की अंतिम तारीख को होना था. इस बीच गरमी अपनी दस्तक दे चुकी थी. कुछकुछ दिनों के अंतराल पर कई चरणों के चले प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सभी को भलीभांति सिखा दिया गया कि किस तरह मतदान कार्य संपन्न करना है. आखिरी प्रशिक्षण में एक लंबा भाषण पिलाया गया :

सभी को निडरता से निष्पक्ष हो कर यह कार्य संपन्न करना है. डर या आतंक फैलाने वाले तत्त्व आप के पास फटक भी नहीं सकते. यहां तक कि प्रदेश की पुलिस भी मतदान केंद्र से 100 मीटर की दूरी पर रहेगी. चुनाव आयोग ने सुरक्षा की तगड़ी और मजबूत व्यवस्था की है.

आप के आसपास पैरा मिलिट्री फोर्स रहेगी. किसी भी अनहोनी को होने के पहले कुचल दिया जाएगा. यह बात आप लोग अपने दिमाग से निकाल दें कि आप अपने सिर पर कफन बांध कर चुनाव संपन्न कराने जा रहे हैं. हालांकि प्रत्येक चुनावकर्मी का पर्याप्त बीमा कवर है. आप अपने कर्तव्य का निर्वाह पूरी तरह करें. किसी भी तरह की कोताही या बाधा आप की ओर से चुनाव कार्य में की गई तो राज्य विरोधी कार्य में जो सजा मिलती है, उसे भुगतना पड़ेगा.

यह भी सख्त हिदायत दी गई कि मतदान केंद्र पर किसी बाहरी व्यक्ति या किसी पार्टी के आदमियों से किसी भी तरह का खानपान स्वीकार नहीं करना है. जिला निर्वाचन कार्यालय से खानपान की कोई व्यवस्था नहीं है. चुनावी ड्यूटी और प्रशिक्षण का निर्धारित मानदेय आप को नकदी के रूप में मिलेगा जो आप लोगों को मतदान केंद्र पर निश्चित रूप से पहुंचा दिया जाएगा. आप को अपने खानपान, बिस्तर आदि की व्यवस्था स्वयं करनी है. इस में यदि आप लोगों को कोई असुविधा होती है तो उसे सहन करना पड़ेगा, इस के अलावा कोई चारा नहीं है. इसे आप लोग एक राष्ट्रसेवा के रूप में और एक चुनौती के रूप में स्वीकार करें. कोई तर्ककुतर्क करने की कोशिश न करें.

कल का दिन आप के पास अपनी व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त है. परसों सुबह ठीक 8 बजे आप सभी को अपनी पोलिंग पार्टी संख्या के अनुसार यहीं पहुंचना है. यहां आप को आप के निर्वाचन क्षेत्र व मतदान केंद्र की जानकारी मिल जाएगी. पुराने के बदले नए परिचयपत्र, वोटिंग मशीन व अन्य चुनाव सामग्री मिल जाएगी.

आप को अपनी पोलिंग पार्टी के साथ प्रस्थान करना होगा. शाम तक हर हालत में मतदान केंद्र पर पहुंच जाना है. रात वहीं बितानी है क्योंकि अगले दिन सुबह ठीक 7 बजे मतदान प्रक्रिया आरंभ करा देनी है. मतदान केंद्र तक पहुंचाने और वापसी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है. आप सभी को जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से बहुतबहुत शुभकामनाएं कि आप सब अपना कर्तव्य निर्वाह करने में पूर्ण सफल रहें, धन्यवाद.

मनुष्य को भले ही संवेदनाहीन समझ लिया गया हो लेकिन यह जरूर जता दिया गया था कि अमुक क्षेत्र के पोलिंग बूथ संवेदनशील हैं, उन पर विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं. बहुत सतर्कता से कर्तव्य निर्वाह करना होगा. लोगों की जरूरत को देखते हुए बाजार भी संवेदनशील हो गया था. ‘विशेष चुनावी पैक’ तैयार हो गए थे जिन में 2 दिन की जरूरत का सामान खास कीमत पर उपलब्ध था, जैसे चने, सत्तू, पानी के पाउच, बिस्कुट, नमकीन, ब्रैड, मच्छर दूर भगाने की क्रीम या कौइल, सिरदर्द व बुखार से लड़ने वाली टेबलेट्स आदि.

ऐसा ही एक पैक ले कर भरत जब घर पहुंचे तो मिसेज भरत ने सहानुभूति भरी नजरों से उन का स्वागत किया.

– क्रमश:

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