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शिवानी उन के पास ही बैठी सोच रही थी कि बस अब 2-3 दिन में वह अबौर्शन करवा लेगी. अचानक उसे चक्कर सा आया. उलटी आने को हुई. वह बाथरूम में भागी. लता भी वहीं थीं, उमा ने उठने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘लता, देखना, बहू को क्या हुआ है?’’

लता ने बाथरूम में झांका, शिवानी उलटी के बाद पस्त थी. वह शिवानी को सहारा देते हुए बाहर लाईं. उसे चेयर पर बिठा कर पानी पिलाया.

शिवानी के पीले पड़े चेहरे को देखते हुए उमा ने कहा, ‘‘क्या हो गया? ठीक तो हो न?’’

‘‘हां मां, यों ही चक्कर आ गया था.’’

लता मुसकराई, ‘‘यों ही या कोई खास बात है?’’

‘‘नहीं चाची, बस जी मिचला रहा था बहुत देर से.’’

‘‘यों ही थोड़े जी मिचलाता है बहूरानी. चलो यहां हमारी पुरानी डाक्टर हैं मनाली, उन्हें दिखा लेते हैं. मुझे तो खुशखबरी की उम्मीद लग रही है, दीदी.’’

उमा ने कहा, ‘‘जाओ लता, अभी दिखा आओ. मैं तो अब ठीक ही हूं.’’

शिवानी ने बहुत आनाकानी की पर उस की एक न चली.

डाक्टर मनाली ने शिवानी के गर्भवती होने की पुष्टि कर दी. शिवानी के चेहरे का रंग उड़ गया. लता चहक उठी. शिवानी को बाहों में भर गले से लगा लिया, ‘‘बधाई हो बहू... वाह इतने सालों बाद घर में कोई नन्हा मेहमान आएगा,’’ खुशी के मारे लता की आवाज कांप रही थी.

उमा ने सुना तो वह बैड से उठ खड़ी हुईं. ‘‘इस खुशखबरी ने तो सारी कमजोरी ही खत्म कर दी,’’ उन्होंने शिवानी को बधाई देते हुए गले से लगा लिया.

गौतम, विनय और अजय आए तो सब यह सुन कर चहक उठे. उमा की बीमारी भूल सब एकदूसरे को बधाई देने में व्यस्त थे. शिवानी की उड़ी रंगत की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. वह बहुत परेशान थी. वह अब कैसे अबौर्शन करवा पाएगी, वह अपनी सोच में इतनी गुम थी कि सब के खुशी से भरे स्वर उस के कानों तक पहुंच भी नहीं रहे थे.

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