जानेअनजाने हम दोनों ही एकदूसरे का सहारा बन गए थे. पूरा साल तो फिर भी नौकरी की व्यस्तता में किसी तरह निकल जाता था पर उस की पुण्यतिथि का दिन हम दोनों पर ही सालभर से भी अधिक भारी पड़ जाता.