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रोजाना की तरह एक दिन सुंदरी अपने पिता को खेत पर खाना खिला कर घर वापस लौट रही थी. जैसे ही सुंदरी ईख के खेत की पगडंडी से हो कर गुजरी तो वहां घात लगाए बैठे नकटू, शाकिब, कलवा और टिपलू ने उस का मुंह भींच कर उसे खेत के अंदर खींच लिया. उस के मुंह के अंदर उस के लाल दुपट्टे को ठूंस कर सुंदरी के साथ हैवानियत का खेल शुरू कर दिया. चारों गिद्ध उस बेचारी और असहाय चिडि़या को बुरी तरह नोंच कर, उसे मरणासन्न स्थिति में छोड़ कर भाग गए. जब काफी देर तक सुंदरी घर नहीं पहुंची तो उस की तलाश शुरू हुई. जगप्रसाद और गांव वालों को सुंदरी को तलाशने में ज्यादा देर न लगी.

ईख के खेत में वह नग्नावस्था व मरणासन्न स्थिति में मिल गई. उस के मुंह में लाल दुपट्टा ठुंसा हुआ था, हाथपैर बंधे हुए थे और वह खून से लथपथ थी. स्पष्ट था, सुंदरी के साथ जोरजबरदस्ती की गई थी. जगप्रसाद तो सुंदरी की यह हालत देख कर वहीं गश खा कर गिर पड़ा. एक बुजुर्ग ने अपनी पगड़ी खोल कर सुंदरी की आबरू को ढंका. गांव वालों ने सुंदरी के हाथपैर खोले, उस के मुंह में ठुंसा दुपट्टा निकाला और उसे ले कर जल्दी से गांव पहुंचे. वहां गांव का डाक्टर बापबेटी को होश में लाने में कामयाब रहा. यह खबर गांव में आग की तरह फैल गई. हर कोई खबर सुन कर जगप्रसाद के घर की तरफ भागा जा रहा था. बलात्कारियों के परिवार वालों को खबर लगी तो वे गांव वालों के आक्रोश से बचने के लिए गांव छोड़ कर भाग खड़े हुए. उधर ग्राम प्रधान मखना ने मामले की खबर पुलिस को कर दी थी.

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