जीवन धारा निरंतर चलती रहती है. सरिता दीदी भी ठीक उसी तरह से अपने प्रवाह में बही जा रही थीं, लेकिन उन की इस जिंदगी में उन के पति एक बार फिर कहीं खलल न डाल दें, इसी उलझन में मुन्ना उलझा था.