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भाग्यजननी ने सारी रात जागते हुए ही बिताई. वह चाहती तो भी उसे नींद नहीं आती. आज तक जो कुछ भी उस के लिए सैद्धांतिक था, अब व्यावहारिक बन कर सामने आ चुका था. रातभर न तो नासा की ओर से कोई मैसेज आया, न ही कहीं से ऐसा कुछ ज्ञात हुआ कि किसी को कुछ मालूम है.

भाग्यजननी को यह संदेह अवश्य जागा कि कहीं सिस्टम में कुछ गड़बड़ी तो नहीं पैदा हो गई है, जिस के कारण एक सौमंप धरती से टकराता हुआ प्रतीत हो रहा है. हो सकता है कि वास्तविकता कुछ और हो और शायद यह सौमंप भी अन्य सौमंपों की तरह धरती के हजारों किलोमीटर ऊपर से बाहर से ही गुजर जा रहा हो और प्रोग्राम में त्रुटि होने से प्रोग्राम गलत अंदेशा दे रहा हो.

विक्रम लैब, हिमालय की एक पहाड़ी शिखर पर मौजूद टैलीस्कोप से फाइबर औप्टिक केबल से जुडी हुई थी. इस टैलीस्कोप का यही काम था कि सौमंपों पर नजर रखे. टैलीस्कोप के रियल टाइम पर्यवेक्षण का डेटा सीधे विक्रम लैब में आता था, जहां पर उस की प्रोसैसिंग होती थी. डेटा प्रोसैसिंग से सौमंप के वक्र मापदंडों का पता चलता था और उस के वक्र की गणना होती थी. यह काम टर्मिनल पर होते दिखता था, लेकिन दरअसल यह काम पीठ पीछे 'इंद्रांचल' द्वारा किया जा रहा था. सौमंप सैकड़ों या हजारों की संख्या में नहीं, अपितु लाखों की संख्या में मापे जा रहे थे. प्रतिक्षण उन का रियल टाइम डेटा 'इंद्रांचल' को फीड किया जा रहा था. 'इंद्रांचल' पर इतना लोड होते हुए भी कभी उस ने चूं तक नहीं की.

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