Online Hindi Story : ‘गढ़देशी’ संपत्ति के चक्कर में कितने ही परिवार आपस में लड़ झगड़ कर बिखर गए और दोष समय को देते रहे. ऐसे ही प्रवीण और नवीन थे तो सगे भाई लेकिन रिश्ता ऐसा कि दुश्मन भी शरमा जाए, रार ऐसी कि एकदूसरे को फूटी आंख न सुहाएं. फिर एक दिन... कहते हैं समय राजा को रंक, रंक को राजा बना देता है. कभी यह अधूरा सच लगता है, जब हम गलतियां करते हैं तब करनी को समय से जोड़ देते हैं. इस कहानी के किरदारों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. 2 सगे भाई एकदूसरे के दुश्मन बन गए. जब तक मांबाप थे, रैस्टोरैंट अन्नपूर्णा का शहर में बड़ा नाम था. रैस्टोरैंट खुलने से देररात तक ग्राहकों का तांता लगा रहता. फुरसत ही न मिलती. पैसों की ऐसी बरसात मानो एक ही जगह बादल फट रहे हों.

समय हमेशा एक सा नहीं रहता. करवटें बदलने लगा. बाप का साया सिर से क्या उठा, भाइयों में प्रौपर्टी को ले कर विवाद शुरू हो गया. किसी तरह जमापूंजी का बंटवारा हो गया लेकिन पेंच रैस्टोरैंट को ले कर फंस गया. आपस में खींचतान चलती रही. घर में स्त्रियां झगड़ती रहीं, बाहर दोनों भाई. एक कहता, मैं लूंगा, दूसरा कहता मैं. खबर को पंख लगे. उधर रिश्ते के मामा नेमीचंद के कान खड़े हो गए. बिना विलंब किए वह अपनी पत्नी और बड़े बेटे को ले कर उन के घर पहुंच गया. बड़ी चतुराई से उस ने ज्ञानी व्यक्ति की तरह दोनों भाइयों, उन की पत्नियों को घंटों आध्यात्म की बातें सुनाईं. सुखदुख पर लंबा प्रवचन दिया. जब देखा कि सभी उस की बातों में रुचि ले रहे हैं, तब वह मतलब की बात पर आया, ‘‘आपस में प्रेमभाव बनाए रखो. जिंदगी की यही सब से बड़ी पूंजी है. रैस्टोरैंट तो बाद की चीज है.’’ नवीन ने चिंता जताई,

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...