‘‘मैं बचपन में अमलनेर में रहता था. वहां स्कूल में पढ़ता था. नईम नाम है मेरा. क्या आप वहां के कालू मिस्त्री को पहचानते हैं?’’
‘‘हां, वे अच्छे कारीगर हैं और कसाली में रहते हैं,’’ मैं ने बताया.
‘‘अरे, आप तो हमारी पहचान के निकले.’’
हम दोनों की बातचीत का सिलसिला चल पड़ा.
‘‘साहब, 20 साल से मैं ड्राइविंग कर रहा हूं. मुंबई, अहमदाबाद हर रोज केले ले जाने का ट्रिप लगता है. 20 साल से एक ही मालिक के पास काम कर रहा हूं. वे मु?ो छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.’’
‘‘ईमानदारी से काम करने वाले को कोई आदमी कैसे छोड़ेगा?’’
‘‘अरे साहब, आप ईमानदारी की बात कर रहे हैं... मैं ने 20 साल में पैसा नहीं कमाया लेकिन नाम कमाया है, इज्जत कमाई है. इस रास्ते पर हवलदार भी मु?ो सलाम करते हैं.’’
तब तक क्लीनर ने ट्रक पर सवार हो कर कहा, ‘‘चलो, नईम चाचा.’’
ट्रक चल पड़ा. रास्ते में हम दोनों की बातचीत फिर शुरू हो गई.
‘‘आप को क्या बताऊं साहब, अगर सामने से इलाके का विधायक भी आ जाए तो वह गाड़ी खड़ी कर के मु?ा से 2 मिनट बात जरूर करेगा. हम ने इतनी इज्जत कमाई है.’’
‘‘हम अमलनेर कितनी देर में पहुंचेंगे?’’
‘‘1 घंटे में.’’
उसी समय एक जीप ने पूरी तेजी से हमारे ट्रक को ओवरटेक किया. सामने से एक मोटरसाइकिल आ गई. जीप का ड्राइवर कंट्रोल खो बैठा और उस ने मोटरसाइकिल सवार को टक्कर मार दी.
ट्रक का ड्राइवर रफ्तार कम करते हुए चिल्ला पड़ा, ‘‘अरे, मारा गया बेचारा.’’
क्लीनर भी आंखें फाड़ कर देखने लगा. टक्कर की तेज आवाज सुन कर मेरी छाती भी धड़कने लगी. मोटर- साइकिल रास्ते के समीप के गड्ढे में जा गिरी. ट्रक कुछ आगे जा कर रुका. जीप वाले को गाली देते हुए नईम ट्रक से उतरा. मैं भी उस के पीछे उतरा. मोटरसाइकिल पर सवार दोनों व्यक्ति काफी दूर जा कर गिरे थे. चालक के सिर पर काफी चोट लगी थी और उस में से खून बह रहा था. उस के पीछे बैठा व्यक्ति दर्द से बिलख रहा था.
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