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“आलोक, सुनो न, मम्मापापा की 25वीं एनिवर्सरी पर हम उन्हें क्या गिफ्ट देंगे?” आलोक का ध्यान अपनी तरह करती हुई अलीमा बोली.

“क्या देंगे, शहर के सब से बड़े होटल में उन के लिए सरप्राइज़ पार्टी रखते हैं?” आलोक बोला.

“वह तो ठीक है लेकिन कुछ और सोचो न,” अलीमा बोली.

“तो हम उन्हें एक बढ़िया मौडल की गाड़ी गिफ्ट करते हैं,” आलोक ने दिमाग चलाया.

“नहीं, कुछ ऐसा जिसे देखते ही मम्मा का चेहरा खिल उठे,” अलीमा बोली.

“तो फिर तुम्हीं सोचो, क्या देना है क्योंकि तुम में ही ज्यादा दिमाग है,” खीझते हुए आलोक बोला.

“सो तो है,” बोल कर जब अलीमा खिलखिला पड़ी तो आलोक ने उसे गुर्रा कर देखा. “जस्ट जोकिंग,’ बोल कर अलीमा ने सौरी तो बोल दिया लेकिन सवाल अब भी वही था कि ऐसा क्या गिफ्ट दिया जाए जिस से पूर्णिमा का चेहरा खिल उठे? अपनी सोच में डूबी अलीमा यों ही मोबाइल स्क्रौल कर ही रही थी कि एक जगह उस का हाथ रुक गया. सोच लिया उस ने कि 25वीं एनिवर्सरी पर वह पूर्णिमा को क्या गिफ्ट देगी.

“मम्मा, यह लहंगा कितना सुंदर है न,” सुबह की चाय पीते हुए अलीमा बोली तो अपने चश्मे को ठीक करते हुए पूर्णिमा कहने लगी कि हां, सच में, बड़ा ही खूबसूरत लहंगा है यह तो.

“मम्मा, आप पर यह लहंगा बहुत खूबसूरत लगेगा सच में.” उस की इस बात पर पूर्णिमा को हंसी आ गई कि अब इस उम्र में वह लहंगा पहनेगी?

“क्यों, क्यों नहीं पहन सकतीं आप लहंगा? अपनी 25वां एनिवर्सरी पर आप लहंगा ही पहनेंगी, बस,” एक बच्ची की तरह जिद करती हुई अलीमा बोली, तो पूर्णिमा को कहना पड़ा कि ठीक है भाई, पहन लेगी वह लहंगा अपनी एनिवर्सरी पर. लेकिन फिर उसे भी लहंगा पहनना पड़ेगा. “ओके डन” बोल कर अलीमा बच्ची की तरह पूर्णिमा के गले से लिपट गई.

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