अन्ना और चिनम्मा का वार्त्तालाप जारी था. इसी बीच किसी ने 100 रुपए का एक नया नोट अन्ना को पकड़ाते हुए चिनम्मा के पीछे खड़े हो कर कहा, ‘‘अन्ना, एक ठंडी पैप्सी देना, बहुत प्यास लग रही है,’’ आवाज कुछ पहचानी सी लगी. पलट कर चिन्नू ने देखा तो उस से 3 कक्षा आगे पढ़ने वाला उस के स्कूल का सब से शैतान बच्चा साई खड़ा है. वह एकटक उसे देख कर सोचने लगी, यह यहां कैसे? स्कूल में सब कहते थे कि इसे तो इस की शैतानी से परेशान हो कर इस की विधवा अम्मा ने 3 साल पहले ही कहीं भेज दिया था किसी रिश्तेदार के घर.
उसे लगातार अपनी तरफ देख कर साई ने हंसते हुए कहा, ‘‘चिनम्मा ही है न तू, क्या चंदा के माफिक चमकने लगी इन 3 सालों में, पहचान में ही नहीं आ रही तू तो.’’
एकदम से सकपका सी गई वह साई की इस बात को सुन कर. कहना तो वह भी चाहती थी, ‘तू भी तो बिलकुल पवन तेजा (तेलुगू फिल्मी हीरो) की माफिक स्मार्ट और सयाना बन गया है. पर पता नहीं क्यों बोलने में शर्म आई उसे. वह तेल ले, नजर ?ाका, घर भाग आई तेजी से.
अप्पा के आने का समय हो रहा था. ढिबरी जला कर जल्दीजल्दी सूखी मछली का शोरबा और चावल बनाया तथा थोड़ी लालमिर्च भी भून कर रख दी अलग से. अप्पा को भुनी मिर्च बहुत पसंद है. घर का सारा काम निबटा कर पढ़ने बैठ गई. पर पता नहीं क्यों सामने किताब खुली होने पर भी वह पढ़ नहीं पा रही थी आज.