मुझे भी अनुभव देखने में अच्छे लगे और मैं ने हां कर दी. 15 दिनों में ही हमारी शादी हो गई. पिताजी ने बहुत धूमधाम से शादी की. मैं जब दुलहन बन कर अपनी ससुराल गई तो उन्होंने मेरी आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी, किंतु मेरा मुंह हमेशा फूला ही रहा. 2 कमरों का उन का एक छोटा सा घर था. बाहर एक बहुत बड़ा चौक था जिस में उन के गायबैल बंधे रहते थे. न बाथरूम न शौचालय. मैं वहां केवल 2 दिन रही पर वे 2 दिन भी 2 युगों के समान लगे थे. तीसरे दिन जब मेरे भैया लिवाने आए तो मैं तुरंत तैयार हो गई.
घर जा कर मैं ने मां से बहुत शिकायत की कि पिताजी ने इतनी जल्दबाजी में मेरी शादी क्यों की. उन के यहां तो रहने के लिए अच्छा सा घर भी नहीं है, क्या मैं आप लोगों पर इतनी भारी पड़ रही थी?
शाम जब पिताजी घर आए तो उन्होंने फिर मु झे सम झाया, ‘बेटा, तुम्हें वहां गांव में थोड़े ही रहना है. अनुभव तो तुम्हें अपने साथ अमेरिका ही ले जाएगा.’
3 दिन बाद अनुभव हमारे घर आए तो पिताजी ने हमें घूमने के लिए मसूरी भेज दिया. पूरा एक सप्ताह हम वहां रहे, बहुत मजा किया. मसूरी से चलते समय अनुभव ने बताया कि उन्हें 10 दिन बाद वापस अमेरिका लौटना है. और भी बहुतकुछ सम झाते रहे, साथ ही यह भी कहा कि मैं अमेरिका पहुंच कर वीजा के सारे कागजात वगैरा भेजूंगा. तुम्हें जल्दी ही वीजा भी मिल जाना चाहिए. मैं चाहता हूं कि तब तक तुम हमारे घर रहो. मेरी मां अब बूढ़ी हो चली हैं. उन से घर का काम अब होता नहीं है. छोटी बहन मंजू अभी स्कूल में पढ़ती है तथा उसे घर के काम में मां की सहायता करनी होती है, इस से उस की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है.