वह पेट से थी. कोख में किस का बच्चा पलबढ़ रहा था, ससुराल वाले समझ नहीं पा रहे थे. सब अंदर ही अंदर परेशान हो रहे थे.
पिछले 2 साल से उन का बड़ा बेटा जुबैर अपने बूढ़े मांबाप को 2 कुंआरे भाइयों के हवाले कर अपनी बीवी सुगरा को छोड़ कर खाड़ी देश कमाने गया था. शर्त के मुताबिक उसे लगातार 2 साल नौकरी करनी थी, इसलिए घर आने का सवाल ही नहीं उठता.
इसी बीच जुबैर की बीवी सुगरा कभी मायके तो कभी ससुराल में रह कर समय काट रही थी. 2 साल बाद उस के शौहर का भारत आनाजाना होता रहेगा, यही बात सोच कर वह खुश थी.
सुगरा जब भी मायके आती तो हर जुमेरात शहर के मजार जाती. उस मजार का नाम दूरदूर तक था. कई बार तो वह वहां अकेली आतीजाती थी.
एक शहर से दूसरे शहर में ब्याही गई सुगरा ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी. उस ने शहर के एक मदरसे में तालीम पाई थी. सिलाईकढ़ाई और पढ़ाई सीखतेसीखते मदरसे के हाफिज से उस की जानपहचान हो गई थी. वह हाफिज से हंसतीबोलती, पर प्यारमुहब्बत से अनजान थी.
मदरसे में पढ़तेपढ़ते सुगरा के अम्मीअब्बू ने रिश्तेदारी में अच्छा रिश्ता पा कर उस की शादी करने की सोची.
‘सुनोजी, रिश्तेदारी में शादी करने से आपस में बुराई होती है. हालांकि वह हमारी खाला का बेटा है. रोजगार की तलाश में है. जल्द लग नौकरी जाएगी, पर...’ सुगरा की मां ने कहा था.
‘पर क्या?’ सुगरा के अब्बू ने पूछा था.
‘कल को कोई मनमुटाव हो गया या लड़के को लड़की पसंद न आई तो...’ सुगरा की अम्मी बोली थीं.