सामने मंच पर खूबसूरत नक्काशी से युक्त सिंहासन रखा हुआ था. सिंहासन के दोनों ओर विशाल दीपक प्रज्ज्वलित थे. 2 सेवक मंच पर खड़े थे. सभी को मंच के सामने बैठने का निर्देश दिया गया.
एक सेवक ने मंच का परदा खींचा. सिंहासन दिखना बंद हो गया. यह श्रीअनंत देव के आने का संकेत था.
उस का हृदय तेजी से धड़क रहा था. कुछ ही पलों में उस के सारे दुखों का समूल नाश करने वाले, कलयुग अवतारी, भगवान श्रीअनंत देव दर्शन देने वाले थे. उस ने महिलाओं के समूह में बसंती की ओर देखा. वह हाथ जोड़े बैठी हुई थी.
वह मुसकरा उठा. कितना अच्छा हुआ कि वे इस पावन भूमि पर आ गए. सभी भक्तों की दृष्टि मंच की ओर थी.
प्रतीक्षा का अंत हुआ. परदे की डोर खींची गई. सामने भगवान श्रीअनंत देव सिंहासन पर ध्यानमुद्रा में बैठे हुए थे. सभी लोग खड़े हो गए. सेविका ने उन की आरती शुरू की. सभी भक्त तालियां बजाबजा कर साथ देने लगे. आरती पूर्ण हुई.
श्रीअनंत देव ने अपने नेत्र खोले. उन के श्वेतश्याम दाढ़ीयुक्त चेहरे पर मुसकराहट फैली हुई थी. वे अपने दाईं और बाईं ओर बैठे सभी भक्तों को धीरेधीरे, प्रेममयी नजरों से निहार रहे थे. वे श्वेत कुरता, श्वेत धोती धारण किए हुए थे. कंधे पर श्वेत उत्तरीय था जिस पर खूबसूरत किनारी बनी हुई थी. मंच का प्रकाश, उन के गोरेगुलाबी चेहरे को और दमका रहा था. वीडियोग्राफर का वीडियो कैमरा चारों ओर घूम रहा था. सेविका ने सभी को बैठने का संकेत किया. सभी भक्त बैठ गए.
वह उस पल की प्रतीक्षा कर रहा था जब भगवान श्रीअनंत देव आशीर्वाद मुद्रा में होंगे और फिर वह अपनी सारी प्रार्थनाएं उन से कह देगा. धीरेधीरे उन के दोनों हाथ आशीर्वाद मुद्रा में उठने लगे. भक्तों ने अपनेअपने हाथ भिक्षा मुद्रा में फैला दिए. उस के हाथ भी फैले हुए थे. वह दुखों को दूर करने की भिक्षा मांग रहा था.