कुछ देर बाद उन्होंने सलाह की कि क्या किया जाए. सब से पहले रमाकांत ने अवनीश को फोन कर के बता दिया कि अखिला घर छोड़ कर चली गई थी. तब तक वह अपने मायके नहीं पहुंची थी. इस के बाद वह देर तक माथापच्ची करते रहे कि आगे क्या किया जाए, परंतु किसी को आगे की कार्रवाई समझ न आई. सो, अभी यह सोच कर चुप हो कर बैठ गए कि जो होगा, देखा जाएगा.
शाम होते ही स्पष्ट हो गया कि उन पर क्या विपत्ति आई थी. अखिला ने उन के जीवन में भयानक तूफान खड़ा कर दिया था.
शाम 6 बजे के लगभग स्थानीय थाने से 2 पुलिस वाले उन के घर आए थे. एक हवलदार, दूसरा सिपाही. हवलदार ने पहले उन के नाम पूछे, फिर कहा- ‘‘आप तीनों को थाने चलना पड़ेगा?’’
तीनों ने पहले शंकित और भयभीत दृष्टि से एकदूसरे की ओर देखा. फिर प्रियांशु ने थोड़ा साहस बटोर कर पूछा, ‘‘क्यों?’’
‘‘आप की पत्नी ने आप लोगों पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाया है. दरोगा साहब ने बुलाया है. बाकी पूछताछ वही करेंगे.’’
उन के ऊपर तो जैसे गाज गिर गई. यह कौन से कर्मों की सजा उन्हें मिल रही थी? अखिला को उन्होंने कभी टेढ़ी नजर से भी नहीं देखा, और उस ने अपने सासससुर और पति पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवा दिया.
किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या किया जाए. थाने जाने से पहले उन्होंने बेटी रिचा और दामाद अभिनव को फोन कर के बता दिया था कि उन पर क्या विपत्ति आ पड़ी थी.
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