Hindi Kahani : मां 50 प्लस हैं लेकिन जिंदगी में खुशियों की हकदार तो वे भी हैं. खुशियां और इच्छाएं उम्र की मुहताज नहीं होतीं. हर उम्र के अपने अलग एहसास होते हैं. उन्हें वही समझ सकता है जो उम्र के उस दौर से गुजरा हो. जिंदगी में सुखद लमहों को बारबार जीने की तमन्ना तो कोई हमउम्र ही समझ सकता है. समाज के डर से मां की जिंदगी में आती खुशियों को क्यों रोका जाए?
जैसे ही अंगद के बौस चौहान सर ने उस के प्रमोशन की खबर अनाउंस की, सारा हौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा क्योंकि प्रमोशन के साथसाथ उसे औफिस की तरफ से एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में 2 साल के लिए शिकागो भेजा जा रहा था. अंगद की टीमवर्क के नेचर व जौब के प्रति उस की डैडिकेशन की आदत ने सिर्फ 2 साल में ही उसे इस प्रमोशन का हकदार बनाया था. उस के प्रमोशन से सभी बहुत खुश थे.
‘‘वाऊ, यू आर सो लकी अंगद, तेरी तो लौटरी खुल गई, यार,’’ उस के खास दोस्त नितिन ने उस के कंधे पर धौल जमाते हुए कहा. उस के कहने पर अंगद थोड़ा सा मुसकराया.
‘‘चल, पार्टी दे बढि़या सी,’’ नितिन आगे बोला.
तभी चौहान सर अंगद की तरफ आए, ‘‘क्या हुआ यंग बौय, इतनी बड़ी खुशखबरी सुन कर तुम खुश नहीं नजर आ रहे, एनी प्रौब्लम?’’
‘‘नो, नो सर, नथिंग,’’ कहते हुए न चाहते हुए भी उस की जबान लड़खड़ा गई थी.
‘‘नो, एवरीथिंग इज नौट ओके, तुम्हारा चेहरा कुछ कह रहा है और आंखें कुछ और ही बयां कर रही हैं. तुम अपनी प्रौब्लम शेयर कर सकते हो. शायद, मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं.’’
‘‘ओके सर. थैंक्स, सो नाइस
औफ यू.’’
‘‘घर जाओ, पार्टी करो और अपनी इस खुशी को एंजौय करो,’’ चौहान सर ने कहा.
चौहान सर के यह कहने पर अंगद मिठाई का डब्बा ले कर घर पहुंचा और मां को गुड न्यूज सुनाई, ‘‘मां, तेरी बरसों की मेहनत ने रंग दिखा दिया है. मुझे आज प्रमोशन मिला है और साथ ही, 2 साल के लिए विदेश जाने का मौका भी.’’
मां मानसी के चेहरे पर प्रमोशन की बात सुन कर खुशी की लहर दौड़ गई लेकिन दूसरे ही क्षण 2 साल के लिए शिकागो जाने की बात सुन कर चेहरे पर कई रंग आए और गए.
मानसी अपनी आंखों की नमी छिपाते हुए बोली, ‘‘इतने लंबे समय के लिए जा रहा है तो शादी कर के मीरा को भी साथ ले कर जा. वह बेचारी तो तेरे लौटने के इंतजार में 2 साल में सूख कर आधी हो जाएगी.’’
‘‘और तुम्हारा क्या मां, तुम भी तो इतने बड़े घर में एकदम अकेली पड़ जाओगी.’’
मां चुप रह गई यह सुन कर. अंगद मां की आंखों की नमी देख कर परेशान हो गया, उसे सम?ा ही नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में वह क्या निर्णय ले. उस ने मीरा को फोन मिलाया. उसे मालूम था कि मीरा बहुत प्रैक्टिकल है, वह इस परिस्थिति का कोई न कोई हल जरूर निकाल ही देगी.
मीरा अंगद की मंगेतर थी. अंगद और मीरा का रिश्ता अंगद के पिता रमाकांत ने अपने दोस्त विश्वनाथ से बात कर के बचपन में ही पक्का कर दिया था. मीरा व अंगद भी युवावस्था तक आतेआते अपने इस रिश्ते को स्वीकार कर चुके थे. मीरा भी एमबीए कर के एक मल्टीनैशनल कंपनी में मार्केटिंग हैड के पद पर कार्यरत थी.
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