उस कठिन दौर में तानी ने उसे बहुत सहारा दिया. वे दोनों एकदूसरे को बेहद चाहते थे.
सीए पूरा कर सैटल हो जाने के बाद दोनों की अपनेअपने परिवार की सहमति के साथ विवाह बंधन में बंधने की योजना थी, लेकिन पराग के घर घटी दुर्घटना ने उन दोनों के मनसूबों पर पानी फेर दिया.
सीए की फाइनल परीक्षा क्लीयर करने के बाद तानी की नौकरी पुणे में एक प्रतिष्ठित एमएनसी में लग गई.
उस दुर्घटना को 6 माह होने आए, परंतु पराग की दशा में कोई सुधार नहीं था. वह दिनदिन भर प्रस्तर प्रतिमा की मानिंद गुमसुम अपने ही खयालों में खोया हुआ एक जगह पर बैठा रहता. वह उसे लाख समझाते, "बेटा जाने वालों के साथ मरा तो नहीं जाता न. अब पढ़ाईलिखाई में मन लगा. तुझे अपने मम्मीपापा के सपनों को पूरा करना है. उन का कितना मन था कि उन के दोनों बेटे सीए बनें. अब संकल्प तो रहा नहीं, अब तुझ पर ही उन के और मेरे सपनों को पूरा करने का दारोमदार है,” लेकिन पराग पर वयोवृद्ध दादाजी की मिन्नतों का कोई असर न होता.
जब तक तानी उस के सामने होती, वह थोड़ाबहुत अपने मन की बातें उस से साझा करता, लेकिन उस के घर से जाते ही वह फिर से गूंगा बन जाता.
एक दिन उन्हें किसी कुटुंबी की मौत पर घर से एक पूरे दिन के लिए बाहर जाना पड़ा. वह पोते को घर की एक बहुत पुरानी सेविका के सुपुर्द कर यह कह कर गए कि शाम तक वापस आ जाएंगे.
उस सेविका ने उन्हें उन के घर लौटने पर बताया कि उन के घर से निकलते ही पराग ने फोन कर तानी को अपने घर बुला लिया, और फिर उस ने उस को अपने घर भेज दिया.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन