‘‘मैं तैयार हूं,’’ संगीता की आंखों में डर, घबराहट, चिंता या असुरक्षा का कोई भाव मौजूद नहीं था.
निशा का सामना करने के लिए संगीता अगली शाम जींस और लाल टीशर्ट पहन कर बड़े आकर्षक ढंग से तैयार हुई. ऐसे कपड़ों पर पहले उस के सासससुर चूंचूं करते थे पर उस दिन सास ने भी कुछ नहीं कहा.
अंजलि ने स्मार्ट और स्लिम दिखाने के लिए उस की प्रशंसा की तो वह खुश हो गई. लेकिन अगले ही पल उस की आंखों में गंभीरता और कठोरता के भाव लौट आए. सारे रास्ते संगीता निशा को कोसती रही. उस के बारे में संगीता का गुस्सा पलपल बढ़ता गया था.
निशा के फ्लैट की बहुमंजिली इमारत में घुसने से पहले अचानक अंजलि ने पूछा, ‘‘भाभी, आप सिर्फ निशा को ही क्यों दोषी मान रही हो? क्या भैया बराबर के दोषी नहीं हैं?’’
‘‘उन से भी मैं आज निबटूंगी,’’ संगीता का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया.
‘‘वैसे, एक बात कहूं, भाभी?’’
‘‘हां, कहो.’’
‘‘अगर आप ने ढीली पड़ कर जिंदगी के प्रति उत्साह न खोया होता तो शायद समस्या जन्म ही न लेती.’’
‘‘तुम्हारा ऐसा कहना सही नहीं है.
मु?ो अपने बच्चे को खो देने
के आघात ने दुखी और उदास किया था. अब मैं निकल आई हूं न उस सदमे से. तुम्हारे भैया का कोई अधिकार नहीं है कि मु?ो संभालने के बजाय वे किसी दूसरी औरत से टांका भिड़ा लें,’ संगीता ने चिढ़ कर जवाब दिया.
‘‘भैया के संभालने से तो आप नहीं संभलीं पर निशा की उन के जीवन में मौजूदगी ने आप को जरूर फिर से चुस्तदुरुस्त बनवा दिया है. आज उस से तोबा बुलवा देना, भाभी. पर एक बात ध्यान में जरूर रखना.’’
‘‘कौन सी बात?’’ अंजलि की बात पसंद न आने के कारण संगीता नाराज नजर आ रही थी.
‘‘निशा वाला चक्कर खत्म हो जाए तो फिर से बेडौल और जिंदगी की खुशियों के प्रति उदासीन मत हो जाना.’’
‘‘वैसा अब कभी नहीं होगा,’’ संगीता का स्वर दृढ़ता से भरा था.
‘‘गुड, आओ, अब इस निशा की खबर लें. इस के सिर से प्यार का भूत उतारें.’’ संगीता का हाथ पकड़ कर अजीब से अंदाज में मुसकरा रही अंजलि उस बहुमंजिली इमारत में प्रवेश कर गई.
बेचारी संगीता को अपने मन की भड़ास निशा के ऊपर निकालने का मौका ही नहीं मिला.
अपने फ्लैट का दरवाजा निशा ने खोला था. उस के बेहद सुंदर, मुसकराते चेहरे पर दृष्टि डालते ही संगीता के मन को तेज धक्का लगा.
‘‘भाभी, यही निशा है. अब इसे छोड़ना मत.’’ उन का परिचय करा कर अंजलि अचानक हंसने लगी तो संगीता तेज उल?ान का शिकार बन गई.
‘‘पहली मुलाकात में यह छोड़नेछुड़ाने की बात मत करो, अंजलि. शादी की सालगिरह की ढेर सारी शुभकामनाएं संगीता,’’ निशा ने आगे बढ़ कर संगीता को गले लगा लिया.
‘‘आज मेरी शादी की सालगिरह नहीं है,’’ संगीता ने तीखे लहजे में उसे जानकारी दी और ?ाटके से उस से अलग भी हो गई.
‘‘इतने सारे लोग गलत हो सकते हैं क्या?’’ संगीता का हाथ पकड़ कर निशा उसे ड्राइंगहौल के दरवाजे तक ले आई.
ड्राइंगहौल में अपने सासससुर, विवेक के खास दोस्तों व उन के परिवारों के साथसाथ अपने पति को तालियां बजा कर अपना स्वागत करते देख संगीता हैरान हो उठी.
‘‘बहू, तिथियों के हिसाब से आज ही है तुम्हारे विवाह की वर्षगांठ, मुबारक हो,’’ संगीता की सास ने उसे गले लगा कर आशीर्वाद दिया.
विवेक के पास आ कर उस के हाथ थाम लिए. चारों तरफ से उन पर शुभकामनाओं की बौछार होने लगी.
‘‘इन दोनों ने मिल कर हमें बुद्धू बनाया है, संगीता,’’ बहुत प्रसन्न नजर आ रहे विवेक ने अंजलि और निशा की तरफ उंगली उठाई.
‘‘संगीता, मैं अंजलि की सब से पक्की सहेली रितु की बड़ी बहन निशा हूं. ये मेरे पति अरुण हैं और सौगंध खा कर कहती हूं कि मेरा कोई प्रेमी नहीं है.’’ निशा की इस बात पर सभी ने जोरदार ठहाका लगाया.
‘‘यह अंजलि की बच्ची डायरैक्टर थी सारे नाटक की. मेरी कमीज पर सैंट लगाना, मेरी जेब में पिक्चर की कटी टिकटें रखना जैसे शक पैदा करने वाले काम इसी के थे. शाम तक मु?ो भी अंधेरे में रखा था इस ने,’’ विवेक ने अंजलि की चोटी को हंसते हुए जोर से एक बार खींचा.
‘‘उई,’’ अंजलि चिल्लाने के बाद शरारती ढंग से मुसकराई, ‘‘भैया, यह हमारे नाटक का ही फल है कि आज भाभी दुलहन जैसी आकर्षक लग रही हैं. निशा को और मु?ो तो आप को बढि़या सा इनाम देना चाहिए.’’
‘‘इनाम के साथसाथ धन्यवाद भी लो,’’ विवेक ने अंजलि और निशा के गाल पर प्यारभरी चपत लगाने के बाद आंखों से हार्दिक धन्यवाद भी दिया.
‘‘थैंक यू, पर तुम दोनों हो बड़ी शैतान. खूब तंग किया है मु?ो तुम्हारे नाटक ने,’’ संगीता ने बारीबारी से दोनों को गले लगाया.
‘‘भाभी, मेरी एक बात का बुरा तो नहीं मानोगी?’’ निशा ने शरारती अंदाज में सवाल किया.
‘‘नहीं, आज तो तुम्हारे सौ खून माफ हैं.’’
‘‘देखिए, ‘मोटी भैंस’ को छरहरे बदन वाली हिरणी बनाने के लिए नाटक तो धांसू करना जरूरी था न,’’ निशा अपनी यह बात कह कर विवेक के पीछे छिप गई. सब को दिल खोल कर हंसता देख, संगीता का गुस्सा उठने से पहले ही खो गया. वह प्यार से विवेक को निहारती, उस से और सट कर खड़ी हो, प्रसन्न अंदाज में मुसकराने लगी.