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भूपेश का चेहरा तमतमा गया. इस खातिरदारी की तो उसे उम्मीद ही नहीं थी. वह कुछ बोलता उस से पहले ही दीपमाला गुर्राई, ‘‘आज के बाद दोबारा मुझे छूने की हिम्मत की तो अंजाम इस से भी बुरा होगा. यह मत भूलो कि तुम अब मेरे पति नहीं हो और एक गैरमर्द मेरा हाथ इस तरह नहीं पकड़ सकता, समझे तुम? अब दफा हो जाओ यहां से.’’

उसे एक भद्दी सी गाली दे कर भूपेश बोला, ‘‘सतीसावित्री बनने का नाटक कर रही हो. किसकिस के साथ ऐयाशी करती हो सब जानता हूं, अगर उन के साथ तुम खुश रह सकती हो तो मुझ में क्या कमी है? मैं अगर चाहूं तो तुम्हारी इज्जत सारे शहर में उछाल सकता हूं... इस थप्पड़ का बदला तो मैं ले कर रहूंगा और फिर दीपमाला को बदनाम करने की धमकी दे कर भूपेश वहां से चला गया.

कितना नीच और कू्रर हो चुका है भूपेश... दीपमाला की सहनशक्ति जवाब दे गई. वह तकिए पर सिर रख कर खुद पर रोती रही, जुल्म उस पर हुआ था, लेकिन कुसूरवार उसे ठहराया जा रहा था.

इस मुश्किल की घड़ी में उसे अमित की जरूरत होने लगी. उस के प्यार का मरहम उस के दिल को सुकून दे सकता था. उस ने अपने फोन पर अमित का नंबर मिलाया. कई बार कोशिश करने पर भी जब उस ने फोन नहीं उठाया तो वह अपना पर्स उठा कर उस से मिलने चल पड़ी.

भूपेश किसी भी हद तक जा सकता है, यह दीपमाला को यकीन था. वह चुप नहीं बैठेगा. अगर उस की बदनामी हई तो उस के सैलून के बिजनैस पर असर पड़ सकता है. वह अमित से मिल कर इस मुश्किल का कोई हल ढूंढ़ना चाहती थी. क्या पता उसे पुलिस की भी मदद लेनी पड़े.

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