Family Story In Hindi: ‘‘खैर, खुशी तो हमें तुम्हारी हर सफलता पर होती रही है और यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) द्वारा तुम्हारे चुने जाने पर अब हमें गर्व भी हो रहा है मगर एक बात रह-रह कर खटक रही है,’’ उदयशंकर अपनी बात को प्रभावशाली बनाने के लिए बीच में थोड़ा रुक गए, ‘‘तुम्हारे इतने दूर जाने के बाद तुम्हारी मम्मी एकदम अकेली रह जाएंगी.’’

‘‘छोडि़ए भी, उदय भैया, अकेली रह जाऊंगी? आप सब जो हैं यहां,’’ मनीषा जल्दी से बोली. अपने मन की बात उदयशंकर की जबान पर आती देख कर वह विह्वल हो उठी थी.

‘‘हम तो खैर मरते दम तक यहीं रहेंगे. लेकिन हम में और जितेन में बहुत फर्क है.’’

‘‘वह फर्क तो आप की नजरों में होगा, चाचाजी. पापा के गुजरने के बाद मैंने आप को ही उन की जगह समझा है. आप को अपना बुजुर्ग और मम्मी का संरक्षक समझता हूं,’’ जितेन बोला.

‘‘लीजिए, उदय भैया. अब आप केवल राजन के मित्र ही नहीं, जितेन द्वारा बनाए गए मेरे संरक्षक भी हो गए हैं,’’ मनीषा हंसी.

‘‘उसमें मुझे कोई एतराज नहीं है, मनीषा. मुझसे जो भी हो सकेगा तुम्हारे लिए करूंगा. मगर, मनीषा, मैं या मेरे बच्चे हमेशा गैर रहेंगे. सोचता हूं अगर जितेन यूनेस्को की नौकरी का विचार छोड़ दे तो कैसा रहे?’’

‘‘क्या बात कर रहे हैं, चाचाजी? लोग तो ऐसी नौकरी का सपना देखते रहते हैं, इसके लिए नाक रगड़ने को तैयार रहते हैं और मुझे तो फिर इस नौकरी के लिए खास बुलाया गया है और आप कहते हैं कि मैं न जाऊं. कमाल है,’’ जितेन चिढ़कर बोला.

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