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डा. नारियलवाला से वह व्यक्तिगत तौर पर कई बार मुलाकात कर चुकी है और उन के निर्देशानुसार अपनी उंगलियों में 5 तरह के रत्न भी धारण किए हुए थी. इन रत्नों को पहनने के बाद उस के जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आए और रत्न धारण करते ही उसे कालेज में विभागाध्यक्ष का पद मिल गया था. उस के बाद काफी दिनों से लंबित पड़ी उस की थीसिस भी पूरी हो गई और वह पीएचडी की उपाधि पा गई थी. उसे अप्रत्याशित प्रमोशन भी मिल गया था.

ज्योतिष के प्रति इस कदर सनक की हद तक आस्था के कारण उसे अकसर सहकर्मियों के संग तार्किक वादविवाद में भी उल?ा जाना पड़ता था. एक बार प्रोफैसर पांडेजी चाय पर उस के घर आमंत्रित थे. उस समय टीवी पर समाचार चल रहे थे. तभी एक समाचार ने उन का ध्यान आकर्षित किया, ‘अभिषेक और ऐश्वर्या पर ग्रहों की वक्र दृष्टि. ऐश्वर्या की कुंडली में मांगलिक दोष. दोष बना उन के विवाह के मार्ग की बाधा.’

समाचार सुन कर पांडेजी भड़क उठे, ‘ज्योतिषफ्योतिष सब बकवास है. भोलीभाली जनता को अंधविश्वास और रूढि़यों का भय दिखा कर लूटने का कुचक्र. ज्योतिष का न तो कोई वैज्ञानिक सिद्धांत है और न ही तार्किक आधार.’ ‘नहीं पांडेजी,’ मुग्धा ने तिलमिला कर प्रतिवाद जताया, ‘वैदिक सूत्रों पर आधारित भरेपूरे ज्योतिष को इस तरह आसानी से खारिज कैसे कर सकते हैं आप? ज्योतिष विज्ञान तो विज्ञान से भी ज्यादा आस्था की चीज है जो मस्तिष्क से नहीं, हृदय से संचालित हुआ करती है.’

‘अरे मैडम, जिसे आप आस्था का नाम दे रही हैं, दरअसल वही तो अंधविश्वास है. मैं तो बस इतना ही जानता हूं कि ज्योतिष में अगर भविष्य जान लेने की इतनी ही क्षमता है तो क्यों नहीं देश में घटित होने वाली भयानक दुर्घटनाओं व हादसों का पूर्वानुमान कर लिया करता है वह? लातूर का कुछ अरसे पहले का और गंगटोक का हाल का हृदयविदारक भूकंप, अंडमान की विनाशकारी सुनामी और 26/11 की आतंकवादी घटना. इन सब के बारे में भविष्यवाणी कर के राष्ट्र को जान और माल की सुरक्षा के प्रति सचेत किया जा सकता था. पर ज्योतिष में ऐसी क्षमता हो तब न?

यहां तो हर समस्या का बस एक ही समाधान है कि इस या उस तरह के नगीने धारण कर लें. हुंह, पत्थर पहनने से ही भाग्य बदलता हो तो मैं हाथों की ही नहीं, पैरों की उंगलियों में भी उन्हें धारण करने को तैयार हूं, सफलता की गारंटी देने वाला कोई महारथी सामने आए तो?’ पांडेजी खिलखिला कर अट्टहास कर उठे.

मुग्धा का तनबदन क्रोध से सुलग उठा. उसे अफसोस हुआ, कैसेकैसे असभ्य सहकर्मियों को वह घर पर बुला लेती है. प्रकट क्रोध को जज्ब करते हुए बोली, ‘नास्तिक व्यक्ति ज्योतिष के महत्त्व को कभी नहीं समझ पाएगा, पांडेजी. ज्योतिष गणना धार्मिक और वैदिक परंपरा का आध्यात्मिक विस्तार है. मैक्समूलर जैसे विद्वान ने यों ही नहीं कहा कि आधुनिक विज्ञान जहां खत्म होता है वहीं से ज्योतिष शुरू होता है.’ पांडेजी फिर भी खीखी कर के हंसते रहे, ‘आप कोई भी तर्क क्यों न दें, मेरी समझ से ज्योतिष आप जैसी धर्मभीरु को भाग्यवादी तो बनाता ही है, उस की संवेदनशीलता का नाश भी करता है.’

इस लगभग 1 माह बाद वह डा. नारियलवाला से एक समस्या के सिलसिले में मिलने गई तो वहां पांडेजी को सपत्नीक प्रतीक्षालय में अपनी बारी का इंतजार करते पाया. मुग्धा की आंखों में विस्मय भर गया. ज्योतिष के कट्टर आलोचक डा. नारियलवाला की शरण में? अद्भुत. बाद में पता चला कि पांडेजी को एक के बाद एक 3 पुत्रियां हासिल हो गई थीं. इस बार जैसे ही मिसेज पांडे के गर्भ में चौथे भ्रूण का अंकुरण हुआ, प्रोफैसर पांडे डा. नारियलवाला के पास ज्योतिषीय मुक्ति की तलाश में गए थे कि अब की बार उन्हें सिर्फ और सिर्फ पुत्ररत्न की ही प्राप्ति हो.

अचानक ‘धप्प’ की आवाज से मुग्धा की तंद्रा टूट गई.
प्रतीक्षित अखबार की प्रति मिसाइल की तरह नीचे से उड़ान भरती हुई बालकनी में सीधे उस के पास आ कर गिरी थी. मुग्धा की बाछें खिल उठीं. तेजी से अखबार उठा कर बैडरूम में आ गई. नजरें साप्ताहिक भविष्यफल वाले पृष्ठ को तलाशने लगीं. भीतर के पूरे 2 पृष्ठों पर सभी 12 राशियों का भविष्यफल फैला हुआ था. हर राशि के सातों दिनों का विशद विश्लेषण. उस की राशि ‘सिंह’ थी. सिंह राशि का भविष्यफल पढ़ते हुए आंखों में चमक भरती चली गई. 6 दिनों का भविष्यफल कमोबेश सामान्य ही था, परंतु आज इतवार के लिए एक अद्भुत भविष्यवाणी थी, ‘आज आप को अप्रत्याशित स्रोत से आकस्मिक धन प्राप्ति का प्रबल योग है. कहीं से भी किसी भी स्रोत से चल कर आप के घर में लक्ष्मी का आगमन निश्चित है.’

भविष्यफल पढ़ कर वह रोमांच से भर उठी. आकस्मिक धन प्राप्ति का योग. ओह, खुशी के मारे पलकें ढलक गईं. मन ही मन वह आगत धन के संभावित स्रोतों का अनुमान लगाने लगी. कहां से चल कर आ सकता है पैसा? वह लौटरी टिकट कभी नहीं खरीदती कि उस पर पुरस्कार की घोषणा हो जाए. किसी सहयोगी या पड़ोसी को भी उधार पैसा दिया हो, याद नहीं आ रहा. मम्मीपापा के भी उस के पास मिलने आने की संभावना नहीं है कि वे ही सौगात के बतौर उसे कुछ रुपए दे दें. फिर?

लेकिन उस का मन डा. नारियलवाला के भविष्यफल को ले कर किसी भी तरह की दुविधा में न था. जब उन्होंने भविष्यवाणी की है कि आज धन प्राप्ति का प्रबल योग है तो बेशक धन आएगा ही आएगा. कहीं से भी आए. उन का कहा आज तक मिथ्या नहीं हुआ.

समय अपनी रफ्तार से दौड़ रहा था. देखतेदेखते दोपहर के 2 बज गए. आदित्य औफिस के काम से टूर पर गया था. कल सुबह 11 बजे वाली ट्रेन से लौटेगा. कालेज की छुट्टी थी ही. दोपहर के भोजनादि से निबट कर मुग्धा बिस्तर पर आ लेटी. कुछ देर टीवी देखा, फिर ?ापकी आ गई.

कौलबैल की मधुर आवाज से नींद खुली तो घड़ी की ओर नजरें चली गईं. 5 बजे थे. कौन हो सकता है दरवाजे पर? हाथों में उस को देने के लिए कड़क नोट थामे कोई देवदूत? धड़कते दिल से दरवाजा खोला. सामने काम वाली बाई खड़ी थी. उत्तेजना की रौ में महरी की दैनिक समय की बात दिमाग से काफूर हो गई थी. वह मन ही मन मुसकरा कर रह गई.

बिना किसी स्रोत के रुपए कहां से आएंगे भला? तीनचौथाई दिन तो बीत गया. शेष बचे कुछ घंटे भी मुट्ठी में रेत की तरह फिसल जाएंगे. डा. नारियलवाला के भविष्यफल को ले कर पहली बार मन शंका से भर उठा. देह शिथिल होने लगी. पर मन के एक कोने में क्षीण सी आशा की लौ अभी भी टिमटिमा रही थी. अभी भी दिन को बीतने में कुछ घंटे शेष हैं. चमत्कार घटने के लिए तो एक ही पल काफी होता है.

पिछले दिनों ही मार्खेज का उपन्यास ‘हंड्रैड ईयर्स औफ सौलिच्यूड’ खरीदा था. व्यस्तता की वजह से पढ़ नहीं सकी थी. उपन्यास ले कर पढ़ने के लिए पलंग पर आ लेटी. उपन्यास इतना रोचक था कि शेष होने के बाद ही छूटा. अरे, 7 बज गए. यानी कि पहली बार गुरुजी का भविष्यफल गलत साबित होने जा रहा है. मन बेचैनी से भरने लगा तो बेचैनी को दूर करने के लिए उस ने सोचा, चौक तक की एक छोटी सी सैर ही कर ली जाए.

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