बाप बनता है. बाप होता है. जो बाप बनता है सो एक ही कारण से बनता है. कारण, बड़ा मासूम सा है. इधर एक मासूम पैदा हुआ, उधर दूसरा जो अब तक मासूम था, बाप बन गया.
बाप बनना एक साधारण घटना है. बाप बनाना उस से भी साधारण, यानी जिस से गरज पड़ी उसी को बाप बना लिया और मुहावरा हो गया ‘गधे को बाप बनाना.’ यह बात अलग है कि बिना गधा बने इनसान बाप नहीं बन सकता क्योंकि बाप बनने की एक जरूरी शर्त शादी करना है. अत: साबित यही होता है कि बिना गधा हुए कोई शादी नहीं कर सकता और बिना शादी किए कोई बाप नहीं बन सकता.
जैसे सब नियमों में अपवाद की आशंका होती है वैसे ही इस में भी अपवाद की आशंका होती है.
गधों का बाप बनना या गधों को बाप बनाना कमोबेश बड़ी ही साधारण घटना है. हर खास और आम के जीवन में यह घटना घट जाती है. एक बार, कईकई बार और बारबार. कोईकोई अपनी एक ही भूल को बारबार दोहराते रहते हैं.
खास बात है, बाप होना. बनने और होने के भेद में वर्षों की साधना है. यह हुनर का काम है. कारीगरी का कमाल है. इनसान वर्षों तपस्या करता है तब कहीं जा कर बाप हो पाता है. यह गहन साधना का काम है. वर्षों नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है या कहें ‘रंग लाती है हिना पत्थर पर घिस जाने के बाद’ और इनसान जब, जिस के कारण बाप बना होता है वह बेल फैल जाती है.
बेल बालिका है, बाप विनम्रता की काया व दीनता की मूर्ति. बालिका को जन्म देना उस का अपराध, जिस की सजा उसे भुगतनी ही है. यानी एक बाप हाथ बांधे दूसरे बाप के सामने जीहुजूरी में खड़ा है.