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‘‘आप हैं मिस वैभवी, सीनियर मार्केटिंग मैनेजर,’’ शाखा प्रबंधक ने वैभवी का परिचय नए नियुक्त हुए सेल्स एवं डिस्ट्रिब्यूशन औफिसर विनोद से कराते हुए कहा.

वैभवी ने तपाक से उठ कर हाथ मिलाया. विनोद ने वैभवी के हाथ के स्पर्श में गर्मजोशी को स्पष्ट महसूस किया. उस ने वैभवी की तरफ गौर से देखा. वह उस के चुस्त शरीर, संतुलित पोशाक और दमकते चेहरे पर बिखरी मधुर मुसकान से प्रभावित हुआ.

वैभवी ने भी विनोद का अवलोकन किया. सूट के साथ मैच करती शर्ट और नेक टाई, अच्छी तरह सैट किए बाल, क्लीनशेव्ड, दमकता चेहरा पहली नजर में प्रभावित करने वाला व्यक्तित्व.

‘‘आप हैं मिस्टर विनोद, आवर न्यू सेल्य एंड डिस्ट्रिब्यूशन मैनेजर.’’

वैभवी से परिचय के बाद शाखा प्रबंधक महोदय विनोद को सिलसिलेवार सभी केबिनों में ले गए. विनोद ने केबिन में अपनी सीट पर बैठ कर मेज के एक तरफ रखा लैपटौप औन किया.

थोड़े समय में ही सेल्स, डिस्ट्रिब्यूशन और मार्केटिंग इंटररिलेटिड वैभवी और विनोद की नियमित बैठकें होने लगीं. फिर धीरेधीरे अंतरंगता बढ़ती गई.

दोनों ही अविवाहित थे. दोनों अपने लिए उपयुक्त जीवनसाथी की तलाश में भी थे. बढ़ती अंतरंगता की परिणति उन की मंगनी में बदली और विवाह की तिथि तय की गई.

दोनों के परिवार जोशोखरोश से विवाह की तैयारियां कर रहे थे. एक रोज बड़े डिपार्टमैंटल स्टोर से शौपिंग कर वैभवी बाहर आ रही थी, सामने से आती एक प्रौढ़ा स्त्री उस से टकराई. उस के हाथों का पैकेट वैभवी के वक्षस्थल से टकराया.

दर्द की तीव्र लहर वैभवी के वक्ष स्थल पर फैल गई. बड़ी मुश्किल से चीखने से रोक पाई वैभवी अपनेआप  को. पर लौट कर कपड़े बदलते हुए उस ने वक्षस्थल पर हाथ फिराया तो एक हलकी सी गांठ उस को दाएं वक्षस्थल पर महसूस हुई. गांठ दबाने पर हलकाहलका दर्द उठा.

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