क्रिकेट की बात करें तो फिलहाल इंगलैंड की टीम भारत में टैस्ट मैच खेल रही है. 5 मैचों की इस सीरीज में से 3 मैच हो चुके हैं, जिन में से पहला मैच भारत हार गया था, पर बाद के दोनों मैचों में भारत ने पलटवार कर के इंगलैंड को धूल चटाई. इस जीत में भारत के नए ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का योगदान न भुलाने वाला है. उन्होंने लगातार 2 मैचों में 2 डबल सैंचुरी बना कर एक अलग ही रिकौर्ड कायम किया है और जता दिया है कि वे इस खेल में लंबी रेस के घोड़े बन सकते हैं.
यशस्वी जायसवाल ने अब तक कुल 7 टैस्ट मैच खेले हैं. इन में उन्होंने 71.75 की औसत से कुल 861 रन बनाए हैं, जिन में एक सैंचुरी और 2 डबल सैंचुरी शामिल हैं. उन की स्ट्राइक रेट 68.99 की है जो टैस्ट मैच के हिसाब से काफी विस्फोटक है. मतलब, उन्होंने गेंदबाजों की बखिया उधेड़ी है.
तीसरे टैस्ट मैच में यशस्वी जायसवाल ने दूसरी पारी में 236 गेंदों पर नाबाद 214 बनाए थे. इस पारी में 14 चौके और 12 चौके शामिल थे. स्ट्राइक रेट थी 90.68. टैस्ट मैच में इतनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी बहुत कम ही देखने को मिलती है. पर आज जिस तरह वे अपने बल्ले से आग उगल रहे हैं, उन की जिंदगी भी उसी दहक से भरी है, जहां तप कर यह खिलाड़ी इतने बड़े कद का दिख रहा है.
उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के सुरियावां गांव से ताल्लुक रखने वाले यशस्वी जायसवाल के पिता भूपेंद्र जायसवाल एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं. क्रिकेट में यशस्वी की दीवानगी उन्हें 11 साल की उम्र में मुंबई खींच लाई. अकेले जद्दोजेहद की. यहां तक कि डेरी तक में काम करना पड़ा. बहुत साल तक तक तो वे मुंबई के आजाद मैदान के मुसलिम यूनाइटेड क्लब टैंट में भी रहे. यहां पर वे रात को खाना बनाने का काम करते थे और दिन को क्रिकेट का अभ्यास करते थे. इस के अलावा उन्होंने गोलगप्पे भी बेचे.
साल 2021 को यशस्वी जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर पोस्ट करते हुए बताया था कि वे अपने पिता की वजह से क्रिकेटर बने और लिखा था, ‘मैं वहां पहुंचने की कोशिश कर रहा हूं, जहां जाना चाहता हूं. आप के शब्द मुझे हर पल मोटिवेट करते हैं. आप का यह कहना कि घबराओ मत, तुम यह कर सकते हो, मुझ में जोश भर देता है. मैं आप का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि आप ने मुझे क्रिकेट खेलने का सपना दिखाया. यह पापा आप का ही तो सपना था, जिसे पूरा करने के लिए ही मैं ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था.’
इतना ही नहीं, यशस्वी जायसवाल ने इंडियन प्रीमियर लीग 2023 के दौरान अपनी जद्दोजेहद पर बात करते हुए बताया था, ‘बंजारे की तरह टैंट में रातें गुजारना भयानक अनुभव था. लाइट नहीं होती थी और हमारे पास इतने पैसे नहीं होते थे कि हम किसी बेहतर जगह पर जा कर रह सकें. यही नहीं, मैदान पर बने टैंट में आसरे के लिए भी हमें मेहनत करनी पड़ी. जब टैंट में सोने को जगह मिली, तो वहां रहने वाले माली बुरा बरताव करते थे. कई बार तो पीट देते थे.’
यशस्वी जायसवाल के उस दौर के बारे में उन के कोच ज्वाला सिंह ने बीबीसी को बताया था, “यशस्वी जब तकरीबन साढ़े 11 साल का था, तब मैं ने उसे पहली बार खेलते हुए देखा था. उस से बातचीत करने के बाद पता चला कि वह बुनियादी बातों के लिए बेहद जद्दोजेहद कर रहा है. उस के पास न तो खाने के लिए पैसे थे और न ही रहने के लिए जगह. वह मुंबई के एक क्लब में गार्ड के साथ टैंट में रहा. वह दिन में क्रिकेट खेलता और रात को गोलगप्पे भी बेचता था. सब से बड़ी बात वह कम उम्र में उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में अपने घर से दूर मुंबई में था.
“वह उस के लिए बेहद मुश्किल दौर था, क्योंकि बच्चों को घर की याद भी आती है. एक तरह से उसने अपना बचपन खो दिया था. लेकिन यशस्वी अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहता था. मेरी कहानी भी कुछ ऐसी ही थी. मैं भी कम उम्र में गोरखपुर से कुछ करने मुंबई गया था. मैं ने भी वही झेला था जो यशस्वी झेल रहा था.
“उस की परेशानी को मैं समझ पा रहा था. घर से थोड़े बहुत पैसे आते थे. अपने परिवार को कुछ बता भी नहीं सकते थे, क्योंकि दिल में डर होता है कि अगर सबकुछ उन्हें पता चल गया तो वे कहीं वापस न बुला लें. तब मैं ने फैसला कर लिया कि मैं इस लड़के को संबल दूंगा, इस की मदद करूंगा, इस को ट्रेनिंग दूंगा, इस की तमाम जरूरतें पूरी करूंगा.”
फिलहाल तो यशस्वी जायसवाल ने कोच और पिता की उम्मीदों पर खरा उतर रहे हैं और अगर ऐसा ही रहा तो वे बाएं हाथ के एक उम्दा बल्लेबाज बन कर अपना नाम क्रिकेट में कमाएंगे.