आस्ट्रेलिया के एडिलेड शहर में पैसिफिक स्कूल गेम्स में भाग लेने के लिए अलगअलग देशों से तकरीबन 4 हजार बच्चों को बुलाया गया था. भारतीय स्कूल महिला फुटबौल टीम भी पैसिफिक स्कूल गेम्स चैंपियनशिप अंडर-18 में हिस्सा लेने के लिए गई हुई थी.
खेल की समाप्ति के बाद इन में से कुछ बच्चे एडिलेड के एक मशहूर समुद्री तट ग्लेनलग पर घूमने के लिए गए थे. इसी बीच अचानक एक तेज समुद्री लहर की चपेट में 5 बच्चे आ गए. वहां मौजूद गोताखोरों ने 4 बच्चों को तो बचा लिया पर दिल्ली की रहने वाली नीतिशा को नहीं बचा पाए. उस का शव अगले दिन निकाला गया.
क्या इसे महज हादसाभर मान कर भुला देना चाहिए? इन बच्चों की देखरेख व सुरक्षा की जिम्मेदारी किस की थी? भारत से भाग लेने के लिए इस आयोजन में 120 खिलाडि़यों का दल गया था. जाहिर है इस दल के साथ कई अधिकारी भी गए थे.
भारतीय अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये अपने परिवार के साथ घूमनेफिरने व मौजमस्ती करने में व्यस्त थे. अधिकारियों की सांठगांठ इतनी मजबूत है कि ये अपने परिवार को साथ ले गए थे जबकि परिवार को ले जाने की अनुमति के लिए नियमकायदे बनाए गए हैं और जब ये अधिकारी परिवार के साथ गए हैं तो जाहिर है नियमकायदों के अनुरूप ही गए होंगे या फिर नियमकायदों की धज्जियां उड़ा कर गए होंगे.
खैर, सवाल यह नहीं है कि वे किस के साथ गए थे, अहम सवाल यह है कि जब इन के जिम्मे इन बच्चों की जिम्मेदारी थी तो इन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी क्यों नहीं निभाया?
पैसिफिक स्कूल गेम्स का आयोजन आस्ट्रेलिया सरकार और आस्ट्रेलियाई स्कूल खेल ने किया था. इसलिए यह आयोजकों की भी जिम्मेदारी थी. इस घटना से साफ जाहिर है कि आयोजक प्रतियोगियों के प्रति कितने गंभीर व संवेदनशील हैं. इस से पहले भी पैसिफिक स्कूल गेम्स की अव्यवस्था को ले कर सवाल उठते रहे हैं पर इस पर किसी ने कोई कार्यवाही नहीं की. इस घटना के बाद मातापिता के जेहन में सवाल उठना लाजिमी है. आखिर कोई मातापिता कैसे अपने बच्चों को दूसरे के जिम्मे किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भेजेगा? एक तरफ बच्चों का कैरियर दिखता है तो दूसरी तरफ मन में यह भी सवाल कौंधने लगता है कि कैरियर बनाने के लिए बच्चे को अपने से दूर तो भेज रहे हैं लेकिन कहीं उसे गंवा न बैठे. संबंधित अधिकारियों के लापरवाहीभरे रवैए के कारण ही मातापिता यहसब सोचने पर मजबूर हुए हैं.