इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का 11वां सीजन 7 अप्रैल से शुरू हो रहा है. इस बार आठ टीमें अगले 51 दिनों तक कुल 60 मैच खेलेंगी. आईपीएल के मैच देशभर के नौ वैन्यू में खेले जाएंगे. लीग का ओपनिंग गेम 7 अप्रैल को मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में होने वाला है. सीजन का पहला मैच मुंबई इंडियन और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच होगा.

इस लीग के जरिये दुनियाभर के बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों को जगह दी जाती है. साथ ही इसके जरिए कौर्पोरेट जगत को भी अपने साथ जोड़ा जाता है. जानिए कैसे आईपीएल फ्रैंचाइज करोड़ों रुपए में स्टार खिलाड़ियों को खरीदती हैं और उनके जरिए करोड़ों की कमाई करती हैं. आईपीएल में विजेता बनना अहम जरूर होता है लेकिन फ्रैंचाइज केवल इसपर ही निर्भर नहीं करती.

आईपीएल को बिजनेस के‍ लिए किया गया है डिजाइन

आईपीएल को बिजनेस के दृष्टिकोण से डिजाइन किया गया है. यह एक क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसे मूल्यवान कमर्शियल प्रौपर्टी के तौर पर विकसित किया गया है. यह कंपनियों को आक्रामक ढंग से अपने बिजनेस को प्रचारित करने का अवसर प्रदान करता है. आईपीएल का प्रमुख बिजनेस प्लान यह है कि प्राइवेट कंपनियों को क्रिकेट फ्रैंचाइजी खरीदने के लिए बुलाया जाए. जब फ्रैंचाइजी को बड़ी कीमत पर बेच दिया जाएगा, तब कौर्पोरेट्स भारतीय क्रिकेट के प्रमुख घटकों में निवेश के लिए आकर्षित होंगे. यही वह रास्ता है जहां से पैसा आता है.

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प्लेयर्स की जर्सी पर विज्ञापन

कंपनियां खिलाड़ियों की जर्सी पर विज्ञापन देती हैं जिससे उन्हें पब्लिसिटी मिलती है. इसके लिए टीम को अच्छी खासी रकम दी जाती है. टीम में हर चीज के लिए स्पौन्सर होते हैं. इनमें मेन स्पौन्सर, जर्सी स्पौन्सर और स्लीव स्पौन्सर भी होते हैं जो इनकम का मुख्य स्त्रोत होते हैं.

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