आईपीएल 2018 में विराट कोहली की टीम बेंगलुरु का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है. बेंगलुरु टीम सिर्फ विराट कोहली और एबी डिविलियर्स के दम पर खेल रही है. जिन दिन यह दोनों खिलाड़ी फ्लौप होते हैं, कोई और खिलाड़ी भी नहीं चल पाता. अंक तालिका में बेंगलुरु की टीम 9 मैच खेलने के बाद छठे नंबर पर है. टीम ने अबतक सिर्फ 3 मैच जीते हैं और 6 हारे हैं. विराट कोहली भी अपनी टीम की गेंदबाजी और फील्डिंग को लेकर खासे निराश नजर आ रहे हैं. मैच हारने के बाद खराब गेंदबाजी और फील्डिंग को लेकर विराट कोहली अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. विराट कह चुके हैं कि इतनी खराब फील्डिंग और कैच छोड़ने के बाद हम मैच जीतने के हकदार ही नहीं हैं.

विराट कोहली अपने खेल के साथ-साथ फिटनेस को भी काफी तवज्जो देते हैं. विराट कोहली बच्चों की आउटडोर खेलों की तरफ बेरुखी और मोबाइल-कंप्यूटर की तरफ ज्यादा झुकाव को लेकर भी खासे चिंतित हैं. हाल ही में अपने दिये एक इंटरव्यू में विराट कोहली ने फिटनेस, बच्चों में खेलों के लिए रुचि और हार-जीत को लेकर कई बातें शेयर कीं.

विराट ने इंटरव्यू में बताया कि आजकल बच्चे 4-5 घंटे हर दिन मोबाइल पर बिताते हैं, जो बेहद खतरनाक है. मुझे लगता है कि टेक्नोलौजी और सोशल प्लेटफौर्म अब मददगार साबित होने से ज्यादा लोगों ने लिए नुकसानदायक बनते जा रहे हैं. इससे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के विकास पर असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि, जब मैं बड़ा हो रहा था. तब हम लोग शाम को इकट्ठे होकर पार्क और सोसायटी में खेलते थे. वीकेंड्स में हम स्पोर्ट्स कौम्प्लेक्स में जाते थे और पूरा दिन वहीं बिताते थे.

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क्रिकेट में आने को लेकर विराट कोहली ने कहा, मैं बचपन में काफी क्रिकेट और बैडमिंटन खेलता था. इससे मुझे एक अलग ही खुशी मिलती थी. मैं टेलीविजन पर स्पोर्ट्स देखता था और खिलाड़ियों के मूव्स की नकल करता था. पैसे बचाने के लिए हम टेप्स से कोर्ट बनाते थे और यही छोटी-छोटी चीजें हमें खुशी देती थीं.

अपनी फिटनेस के बारे में बताते हुए विराट कोहली कहते हैं, मेरे लिए फिटनेस का बिल्कुल अलग मतलब है. मैंने इस बात को जाना कि जबसे मैंने अपनी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान देने शुरु किया मेरी सोच भी बेहतर हुई है. मुझमें ज्यादा आत्मविश्वास, फोकस, स्पष्टता आई.

बच्चों को एग्जाम स्ट्रेस को हैंडिल करने के लिए विराट कोहली ने टिप देते हुए कहा, मैं अपने बोर्ड एग्जाम के दौरान भी बाहर निकलकर खेलने का वक्त निकाल लेता था. इससे मेरा स्ट्रेस कम होता था. यह मुझे खुशी देता था और मुझे सकारात्मक बनाता था. इसके बाद में अपना ध्यान पढ़ाई में लगा लेता था.

टीम इंडिया में अपने सलेक्शन की यादों को ताजा करते हुए विराट कोहली ने कहा, मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है कि मैं अपनी मां के साथ टेलीविजन में सलेक्शन मीटिंग की न्यूज देख रहा था. मेरा नाम टीवी में फ्लैश हुआ लेकिन मैंने सोचा कि शायद अफवाह है, लेकिन इसके 5 मिनट बाद बोर्ड की तरफ से कौल आया कि मैं सलेक्ट हो गया हूं. मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे. मैं कांप रहा था. यह मेरे लिए बेहद खास दिन था.

जीत या हार किससे आप ज्यादा सीखते हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए विराट ने कहा, हार, जीत आपको कुछ नहीं सिखाती है. मेरे जिंदगी के बुरे वक्त ने ही मुझे एक बेहतर इंसान बनाया है.

क्या तिहरा शतक मारना आपके लक्ष्यों में से एक है. इस पर विराट कोहली का कहना है कि मेरा लक्ष्य सिर्फ गेम जीतना है. यह किसी और व्यक्ति का लक्ष्य हो सकता है, मेरा नहीं.

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