पाकिस्तान ने दिल्ली में शनिवार से हुए निशानेबाजी के वर्ल्ड कप के लिए अपने 2 निशानेबाजों जीएम बशीर और खलील अहमद के वीजा के लिए आवेदन किया था. उन्हें रैपिड फायर वर्ग में हिस्सा लेना था.

लेकिन भारत ने पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवानों की घटना के बाद पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीजा देने से इनकार कर दिया था. याद रहे कि यह वर्ल्ड कप साल 2020 में होने वाले ओलिंपिक खेलों के लिए क्वॉलिफायर प्रतियोगिता भी है.

भारत के इस फैसले के बाद इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी ने इस टूर्नामेंट में पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा से हासिल किए जाने वाले 2 ओलिंपिक कोटे हटाने का फैसला किया. साथ ही उस ने यह घोषणा भी की कि वह बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी के लिए भारत को चर्चाओं में शामिल नहीं करेगी. इस से भारत की 2026 में होने वाले युवा ओलिंपिक, 2032 के ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक और 2030 के एशियाई खेलों की मेजबानी करने की उम्मीद को झटका लगा है.

इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी ने यह भी कहा कि भारत के खिलाफ यह फैसला तब तक बरकरार रहेगा जब तक उसे भारत सरकार से लिखित में गारंटी नहीं मिल जाती कि इस तरह की प्रतियोगिताओं में सभी प्रतिभागियों का प्रवेश ओलिंपिक चार्टर के नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए किया जाएगा.

इस  विश्व संस्था ने दूसरे इंटरनेशनल संघों से भी अनुरोध किया कि जब तक गारंटी नहीं मिल जाती, वे भारत को कोई भी खेल प्रतियोगिता नहीं दें और न ही यहां इन का आयोजन कराएं.

इस मसले पर भारतीय ओलिंपिक संघ के महासचिव राजीव मेहता ने दिल्ली में कहा, 'हम ने अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की लेकिन आखिर में सरकार को ही वीजा देने होते हैं. देश में सभी खेलों के लिए ये भयावह हालात हैं.

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