क्रिकेट के खेल में कई भारतीय दिग्गज हुए हैं. इन दिग्गज खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय मैच में कई रिकार्ड बनाए हैं. लेकिन भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक ऐसे भी खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने सिर्फ 10 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला लेकिन सबके चहेते बन गए. इस खिलाड़ी ने भारतीय क्रिकेट को एक अलग मुकाम तक पहुंचा दिया. इस दिग्गज बल्लेबाज ने रणजी मैच में ऐसे रिकार्ड बनाए हैं जिसे तोड़ पाना मुश्किल है. दरअसल हम बात कर रहे हैं दिग्गज भारतीय बल्लेबाज विजय मर्चेंट की.
मुंबई के इस दिग्गज खिलाड़ी का घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकार्ड रहा, लेकिन दुर्भाग्य से दूसरे विश्वयुद्ध ने उनका अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म कर दिया. 12 अक्टूबर 1911 को जन्मे विजय मर्चेंट को अपने वक्त में डौन ब्रैडमैन और कौम्पटन जैसे खिलाड़ियों में गिना जाता था.
22 साल की उम्र में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 1933-34 में अपना पहला टेस्ट खेला था. वहां से वो 1951 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते रहे. विजय मर्चेंट को भारत का ‘ब्रैडमैन’ कहा जाता था. रिटायर होने के बाद विजय मर्चेंट चयनकर्ता भी रहे. 27 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
इंग्लिश टीचर के कारण बदल गया नाम
विजय मर्चेंट का नाम विजय ठाकरसे हुआ करता था. एक बार बचपन में उनकी इंग्लिश टीचर ने उनसे उनके नाम और पापा के प्रोफेशन के बारे में पूछा. विजय ने अपना नाम बताया. फिर पापा का प्रोफेशन ‘मर्चेंट’ बताया. पर टीचर नाम और प्रोफेशन में कंफ्यूज कर गई और विजय का नाम विजय ठाकरसे से विजय मर्चेंट हो गया.
रणजी ट्रौफी के ब्रेडमैन
विजय मर्चेंट को यदि रणजी ट्रौफी का ब्रेडमैन कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. मर्चेंट ने रणजी ट्रौफी में 98.75 की औसत से 3639 रन बनाए. सचिन इस टूर्नामेंट में 85.62 की औसत से 4281 रन बनाए हैं.
शतक बनाने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी
टेस्ट में मर्चेंट ने 3 शतक लगाए, इनमें से दो शतक अंतिम दो पारियों में बने. मर्चेंट ने अपना आखिरी टेस्ट दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. यह शतक पांच साल के बाद उस समय बना जब 1951 में विजय मर्चेंट 40 साल 21 दिन की उम्र में कोटला में खेल रहे थे. उन्होंने पहली पारी में 154 रन बनाए यह सबसे उम्रदराज खिलाड़ी द्वारा लगाया गया शतक था.
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दूसरे सबसे बड़े बल्लेबाज
विजय मर्चेंट ने ज्यादा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका दबदबा बना रहा. उन्होंने 150 मैचों में 71.64 की औसत से रन बनाए. इनमें 45 शतक, और 50 अर्धशतक शामिल हैं. औसत के मामले में डौन ब्रेडमैन (95.14) के बाद वह दूसरे नंबर पर हैं.
गांधी गिरफ्तार थे तो क्रिकेट खेलने से मना कर दिया
1933 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाले मर्चेंट ने एक बार इंग्लैंड के खिलाफ एक सीरीज खेलने से मना कर दिया था क्योंकि महात्मा गांधी और कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था. चार साल बाद वो इंग्लैंड टूर पर जाने को तब तैयार हुए जब सारे लीडर जेल से बाहर आ गए थे.
जब एमसीसी टीम ने 1933 में भारत का दौरा किया तो विजय मर्चेंट की बहन लक्ष्मी महात्मा गांधी का औटोग्राफ लेने के लिए उनके पास गई. संयोग से उन्होंने औटोग्राफ देने के लिए लक्ष्मी की किताब का जो पेज खोला उसमें 1933-34 की एमसीसी टीम के खिलाड़ियों के हस्ताक्षर थे. इस टीम के 17वें सदस्य के रूप में विजय मर्चेंट शामिल थे. गांधी जी ने इसी पेज पर औटोग्राफ दिया.
अंग्रेजों को अपने खेल से बनाया दीवाना
अंग्रेज खिलाड़ी विजय मर्चेंट के खेल से बहुत प्रभावित थे. अंग्रेज खिलाड़ी सीबी फ्रे ने कहा था, चलो इसको सफेद रंग से रंग देते हैं और इसे अपने साथ आस्ट्रेलिया ओपनर बनाकर ले चलते हैं. आप इससे से विजय की लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते हैं. विजय ने अपने दो इंग्लैंड टूर पर मिडिल और्डर में खेलते हुए 800 रन जड़ दिए थे.