अखाड़े से मैट तक पहुंची कुश्ती के अब दिन फिरने वाले हैं. लंगोटधारी पहलवान जगत के खुश होने का मौका जल्दी ही आने वाला है. दरअसल, कुश्ती को अब क्रिकेट की तरह बड़ी पहचान देने की तैयारी की जा रही है. भारत में कुश्ती के लिए अब क्रिकेट की तरह केंद्रीय अनुबंध प्रणाली को शामिल करने की सोच पर काम चल रहा है. इस के बाद पहलवानों को ग्रेड के आधार पर केंद्रीय अनुबंध का हिस्सा बनाया जाएगा.
इस के अलावा कुश्ती के प्रसारण के लिए पहली बार एक बड़े स्पोर्ट्स चैनल से बातचीत की जा रही है. सबकुछ सही रहा तो साल 2019 से शुरू होने वाली इस डील से भारत में होने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती मैचों के 100 दिन के लाइव प्रसारण की गारंटी हो जाएगी.
एक जानकारी के मुताबिक, खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट 15 नवंबर 2018 से शुरू होंगे. इस से एलीट के अलावा जूनियर, सबजूनियर, अंडर-23 वर्ग के तकरीबन 150 पहलवानों को भी फायदा होगा. इतना ही नहीं, अंडर-15 वर्ग के पहलवान भी इस में शामिल होंगे, जबकि इस कॉन्ट्रैक्ट की हर साल समीक्षा की जाएगी.
पहलवानों को ग्रेड 5 ग्रुप में मिलेगा जिस में एक सीनियर और बाकी जूनियर पहलवानों के लिए होगा. इस का आधार ओलिंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, यूथ ओलिंपिक और दूसरे बड़े इवेंट में मिले मेडल को रखे जाने की उम्मीद है.
30 अक्टूबर 2018 को राजधानी दिल्ली में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के हेडक्वॉर्टर में इसे ले कर एक बैठक आयोजित की गई जिस में सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और दिव्या काकरान समेत तकरीबन 15 पहलवान, फेडरेशन के अधिकारी और स्पोर्टी सॉल्यूशंस के अधिकारी भी शामिल हुए थे.
इस बैठक में पहलवानों के भविष्य को सुरक्षित करने के दूसरे तमाम तरीकों पर भी विचार किया गया.
जब से क्रिकेट ने अपने खिलाड़ियों को मालामाल किया है तब से दूसरे खेलों के खिलाड़ी भी अच्छा प्रदर्शन करने के एवज में अपने लिए पैसे की मांग करते रहे हैं. अब भारतीय पहलवान इंटरनेशनल लेवल पर गोल्ड मैडल तक लाने लगे हैं जिस से कुश्ती को नई पहचान मिली है.
जो काम सचिन तेंदुलकर ने बीसीसीआई के लिए किया था मतलब अपने उम्दा खेल से भारत क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था वही काम कुश्ती में सुशील कुमार ने किया है. वे एक बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुके हैं तो 2 बार ओलिंपिक खेलों में मेडल ला चुके हैं. उस के बाद योगेश्वर दत्त, गीता फोगाट, विनेश, बजरंग पूनिया जैसे पहलवानों ने कुश्ती को और आगे बढ़ाया. इस हिसाब से अब कुश्ती के लिए इस तरह की योजना कारगर साबित होगी.
सब से ज्यादा फायदा पहलवानों की नई पौध को होगा जो इंटरनेशनल लेवल पर अपना नाम दर्ज कराने के सपने देख रही है.