नैशनल ऐंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने पहलवान नरसिंह यादव को डोपिंग के आरोप से तो बरी कर दिया है, लेकिन नरसिंह ओलंपिक में खेल पाएंगे या नहीं, इस पर अब भी कोई फैसला नहीं हो पाया है.
नरसिंह के आगे अभी भी चुनौतियां कुछ कम नहीं हैं लेकिन काम तेज हो तो वह रियो ओलंपिक में शिरकत करने से चंद कदमों की दूरी पर ही हैं.
नरसिंह के रियो में जाने के लिए उनके सामने अब दो चुनौतियां हैं. पहली यह कि डोपिंग मामले में नैशनल ऐंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) द्वारा उन्हें बेकसूर ठहरा दिए जाने के फैसले को वर्ल्ड ऐंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) कोर्ट ऑफ आर्बिटरेशन में चुनौती ना दे.
दूसरा यह कि इंटरनैशनल ओलंपिक काउंसिल नरसिंह की जगह 74 किलोग्राम कैटिगरी में रियो जाने वाले प्रवीण राणा की जगह वापस नरसिंह को लाने का निवेदन मान ले.
इस सब को होने में काफी समय लग सकता है लेकिन 26 वर्षीय नरसिंह के पास अब ज्यादा समय नहीं बचा है क्योंकि रियो में 74 किलोग्राम कैटिगरी का मुकाबला 19 अगस्त को होना है और जॉर्जिया में ट्रेनिंग ले रही भारतीय टीम 11 अगस्त तक रियो पहुंचेगी.
इन सबके अलावा वाडा और वर्ल्ड बॉडी को नाडा के फैसले को 21 दिनों में चुनौती देनी होगी. कुल मिलाकर नरसिंह के पास अब केवल 10 दिन बचे हैं क्योंकि 11 अगस्त को भारतीय कुश्ती टीम को रियो पहुंचना है.
उधर केंद्रीय खेलमंत्री विजय गोयल ने कहा है कि रियो में नरसिंह खेलेंगे या नहीं, इसका फैसला भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI: रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया), अंतरराष्ट्रीय कुश्ती महासंघ (IWF: इंटरनैशनल रेसलिंग फेडरेशन), अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC: इंटरनैशनल ओलंपिक कमिटी) और विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA: वर्ल्ड ऐंटी-डोपिंग एजेंसी) के हाथों में है.
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