हरियाणा की साक्षी मलिक और हैदराबाद की पी वी सिंधु ने रियो ओलिंपिक में पदक दिला कर भारत की इज्जत उतरने से बचा ली. इस के अलावा भारत की इन दोनों बेटियों ने भ्रूणहत्या करने वालों को भी एक संदेश दिया है कि देखो, बेटियों ने ही देश की इज्जत रख ली. आधुनिक युग में बेटियों को जन्म से पहले ही मां की कोख में मार दिया जाता है. यह अपराध भी है और बेवकूफी भी. दुख तब होता है जब एक मां की भी इस अपराध में सहभागिता होती है. उस मां को यह सोचना चाहिए कि वह भी किसी की बेटी है.
भू्रणहत्या देश में एक बड़ी समस्या है. ऐसा नहीं है कि भ्रूणहत्या कम पढ़ेलिखे लोग करते हैं. आप को जान कर हैरानी होगी कि सब से ज्यादा भू्रणहत्या पढ़ेलिखे लोग करते हैं. 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के मुताबिक, 1,000 लड़कों में लड़कियों का अनुपात 943 है. हरियाणा में 1,000 लड़कों, पर सिर्फ 876 लड़कियां हैं जबकि पंजाब में यह तादाद 926 है. तमाम प्राइवेट अल्ट्रासाउंड या प्राइवेट क्लीनिक में लिखा हुआ मिल जाएगा कि यहां लिंग परीक्षण नहीं होता है जबकि सचाई यह है कि इन सभी जगहों में लिंग परीक्षण का काम चलता रहता है.
सरकारी अस्पतालों में यह कमोबेश नहीं होता है, पर प्राइवेट अस्पतालों में यह होता है. यदि आप रिसैप्शन में जाएंगे तो एक बार में हो सकता है कि मना कर दिया जाए पर नोटों व पहचान के जोर पर डाक्टर से मिलने के बाद सबकुछ आप आसानी से कर सकते हैं. समाज में यह कोढ़ की तरह है.