रूसी भारोत्तोलन टीम को डोपिंग के आरोपों की वजह से रियो ओलंपिक में भाग लेने से रोक दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ ने कहा कि वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) के लिए तैयार की गई मैकलारेन की इसी महीने पेश रिपोर्ट में कुछ रूसी भारोत्तोलकों के नाम थे.
महासंघ ने कहा कि रूसी खिलाड़ियों की वजह से पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस खेल की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. अत: इस खेल को बचाने के लिए पूरी रूसी टीम को ओलंपिक खेलों में भाग लेने से रोक दिया गया है.
वाडा की रिपोर्ट में रूस में सरकार समर्थित डोपिंग सिस्टम का जिक्र किया गया था. जिसमें रूस के खेल मंत्रालय समेत तीस से ज्यादा खेलों में डोपिंग का जाल फैला होने के प्रमाण दिए गए थे.
वेटलिफ्टर संघ का कहना है कि वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी की जांच में रूस के 10 खिलाड़ियों के नाम पॉजेटिव आए हैं, जिसके चलने ओलंपिक में जाने पर पाबंदी लगाई गई है.
17 में से 16 पहलवानों को हरी झंडी
रूस के 17 में से 16 पहलवानों को युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने रियो ओलंपिक में खेलने की मंजूरी दे दी है. फ्रीस्टाइल पहलवान विक्टर लेबेदेव को एक दशक पहले डोप टेस्ट में नाकाम रहने कारण बाद हरी झंडी नहीं मिल सकी है.
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने एक बयान में कहा, 'रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले सभी रूसी पहलवानों का टेस्ट मास्को से बाहर वाडा की मान्यता प्राप्त लैब में हुआ था. मैकलारेन रिपोर्ट में किसी पहलवान का नाम नहीं है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) के नियमों के तहत विक्टर लेबेदेव को मंजूरी नहीं मिली, जो 2006 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में डोप टेस्ट में नाकाम रहे थे.'
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