टी-20 क्रिकेट ने इस खेल की सूरत काफी हद तक बदल दी. क्लासिक शॉट्स की जगह 360 डिग्री शॉट, स्कूप शॉट, रिवर्स शॉट ने ले ली. लेकिन एक बल्लेबाज ऐसा है जिसने इस खेल में टेस्ट क्रिकेट की शास्त्रीय शैली की वापसी कराई. वो और कोई नहीं बल्कि इस क्रिकेट फॉरमैट के नंबर-1 बल्लेबाज विराट कोहली हैं.
ऐसा मानना विराट के कोच राजकुमार शर्मा का है. विराट के कोच का कहना है कि अगर खेल में तकनीक को ठीक रखा जाए तो किसी भी फॉरमैट में रन बनाए जा सकते हैं. कोच ने कहा, 'मेरे हिसाब से टेस्ट क्रिकेट ही असली क्रिकेट है और इस शैली में खेलते हुए आप किसी फॉरमेट में सफल हो सकते हैं. विराट ने इस तथ्य को अपनी बल्लेबाजी से पूरी तरह साबित किया है.'
'अलग-अलग दौरों के हिसाब से प्रैक्टिस करता है विराट'
भारतीय टेस्ट कप्तान और आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीबी) टीम के कप्तान विराट के प्रदर्शन में निखार लाने के लिए राजकुमार हमेशा उन पर मेहनत करते रहते हैं. कोच ने कहा, 'विराट अपने खेल और फिटनेस दोनों पर मेहनत करते हैं. भारतीय टीम को जिस देश का दौरा करना होता है वह उसी के हिसाब से अपनी प्रैक्टिस करते हैं. अगर उन्हें ऑस्ट्रेलिया जाना है तो वह कूकाबूरा गेंदों से प्रैक्टिस करते हैं और अगर इंग्लैंड का दौरा हो तो घसियाली पिचों पर.'
'मैदान पर चमकने के लिए विराट ने किए हैं बहुत त्याग'
विराट की फिटनेस के प्रति लगन पर कोच ने कहा, 'वह जिम में पसीना बहाने के साथ-साथ अपने खाने पीने पर खास ध्यान देता है. जब वह शुरुआत में मेरे पास आया था तो खाने का बहुत शौकीन था और उसे नॉनवेज बहुत पसंद था. लेकिन पिछले दो तीन सालों में उसने अपना लाइफ स्टाइल ही बदल डाला है. वह घी तेल और मीठे से दूरी रखता है और उबला तथा ग्रिल खाना ही खाता है. मैदान पर चमकने के लिए उसने काफी त्याग किया है और इस कारण ही उसकी फिटनेस सुधरी है.'
'24 साल खेला तो तोड़ेगा तेंदुलकर के कई रिकॉर्ड्स'
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से तुलना के सवाल पर राजकुमार ने कहा, 'सचिन हमेशा उसके आदर्श रहे हैं. विराट भी चाहता है कि वह सचिन की तरह खेले और उनके जैसे कीर्तिमान बनाए. सचिन से तुलना पर विराट पर कोई दबाव नहीं है. मुझे लगता है कि अगर वह 24 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेले तो वह सचिन के तमाम रिकॉर्ड्स तोड़ देगा.'
'विराट ने खुद को बहुत बदला है'
विराट के आक्रामक रवैये पर कोच ने कहा, 'विराट ने अपने स्वभाव में काफी बदलाव किया है. टेस्ट कप्तान बनने के बाद उसे समझ में आया है कि वह देश का नेतृत्व कर रहा है. वह खेल के प्रति पूरी तरह केंद्रित है और उसने अपने आक्रामक स्वभाव को भी कंट्रोल किया है. वह टीम की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर मैदान में उतरता है और उसे निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ता.'