जीत किसे याद नहीं रहती. फिर चाहे वह खेल में हो, पढाई में हो या किसी और प्रतिस्पर्धा में. क्रिकेट के खेल में कुछ ऐसे जीत हैं जो सिर्फ खिलाड़ी के दिलो दिमाग में ही नहीं बल्कि दर्शकों के जहन में भी बसा हुआ है. ऐसी ही थी वो 2002 की जीत, भारतीय वनडे इतिहास की सबसे यादगार जीत. आज ही के दिन 15 साल पहले वो जीत मिली थी हमें.

आज बेशक 15 साल बीत गए लेकिन जिसने भी लॉर्ड्स के मैदान पर उस मैच को देखा वो शायद ही उस यादगार दिन को भूल पाएगा. दरअसल भारत, श्रीलंका और मेजबान इंग्लैंड की टीमें वनडे ट्राई सीरीज खेलने मैदान पर उतरी थीं. भारत और इंग्लैंड ने उस सीरीज के फाइनल में जगह बनाई थी और 13 जुलाई को क्रिकेट का मक्का माने जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर दोनों टीमें खिताबी भिड़ंत के लिए उतरीं.

मैच में मेजबान इंग्लिश टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. मार्कस ट्रेस्कॉथिक (109) और कप्तान नासिर हुसैन (115) के शतकों के दम पर इंग्लैंड ने 50 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 325 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया.

जवाब देने उतरी टीम इंडिया लाजवाब शुरुआत की. सहवाग और गांगुली ने पहले विकेट के लिए 106 रनों की साझेदारी की. तभी अचानक 15वें ओवर में दादा (60) बोल्ड हो गए. इसके बाद देखते-देखते टीम के दिग्गज बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग, दिनेश मोंगिया, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर अगले 40 रनों के अंदर पवेलियन लौट गए. भारत का स्कोर 5 विकेट पर 146 रन हो गया था और भारतीय पवेलियन में सबके चेहरे मायूसी से लटक गए थे. जीत अचानक दूर लगने लगी.

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