टीम इंडिया के क्रिकेट इतिहास में वैसे तो कई महान क्रिकेटर हुए हैं, लेकिन उनमें सौरव गांगुली का एक अलग ही स्थान है. टीम इंडिया बुलंदियों तक पहुंचाने वाले सौरव गांगुली यानी कि दादा का आज जन्मदिन है.
बाएं हाथ के इस कलात्मक बल्लेबाज ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत तो 1992 में वनडे से की, लेकिन उन्हें पहचान 1996 के इंग्लैंड दौरे से मिली. गांगुली की कप्तानी और बल्लेबाजी स्टाइल को आज भी याद किया जाता है. भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दिलाने में गांगुली की अहम भूमिका है.
प्रिंस ऑफ कोलकाता और बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर सौरभ गांगुली ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं. आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर पढ़िए उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें.
1996 में खेले गए मैच से मिली पहचान
सौरव गांगुली को पहली बार 1992 में भारतीय टीम में शामिल किया गया था, लेकिन वे तुरंत ही टीम से निकाल दिए गए. वजह यह थी कि उनका व्यवहार कुछ लोगों को रास नहीं आया और उन्होंने टीम मैनेजमेंट से उनकी शिकायत कर दी.
हालांकि, सौरव ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार मैदान पर पसीना बहाते रहे. 1996 में लॉड्स में अपने ही पहले ही मैच में सौरव ने शतक जड़ा. सौरव को यह मौका भी नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से मिला था, जिनकी उस समय तत्कालीन कप्तान अजहरुद्दीन से अनबन हो गई थी और उन्होंने खेलने से इनकार किया था.
लाजवाब रिकॉर्ड
दादा के नाम से मशहूर सौरव गांगुली ने 113 टेस्ट मैचों में 7,212 रन बनाए हैं, जबकी 311 वनडे मैचों में उन्होंने 22 सेंचुरी की मदद से 11,363 रन बनाए. वनडे मैचों में रन बनाने में गांगुली की गिनती दुनिया के दिग्गज बल्लेबाजों में हुई.
मुख्य रूप से दाएं हाथ के बल्लेबाज
गांगुली मुख्य रूप से दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं लेकिन वह बाएं हाथ के बल्लेबाज इसलिए बनें ताकि अपने भाई का क्रिकेट का सामान इस्तेमाल कर सकें.
शर्ट लहराना कर मनाया जीत की खुशी
2002 का नेटवेस्ट फाइनल भला कौन भूल सकता है. भारतीय टीम ने 146 रनों पर 5 विकेट गंवाने के बाद इंग्लैंड के स्कोर 325 को पार किया था. भारत की इस जीत में युवा चेहरे मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके बाद गांगुली का लॉर्ड्स की बालकनी में शर्ट उतारकर लहराना तो क्रिकेटप्रेमी शायद ही कभी भूल पाएंगे.
वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंची टीम
2003 में गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी. 1983 के बाद पहली बार भारतीय टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी. फाइनल में उसके सामने अजेय समझे जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम थी. फाइनल में भारत को 125 रनों से हार का सामना करना पड़ा था.
2008 में खेला अपना आखिरी टेस्ट मैच
2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने घरेलू मैदान ईडन गार्डेन पर उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला. फिलहाल गांगुली क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) के अध्यक्ष हैं.
एशिया के बाहर सेंचुरी
गांगुली ने वनडे में कुल 22 शतक लगाए जिसमें से 18 उन्होंने भारत के बाहर लगाए.
गांगुली की कप्तानी में कामयाबी
साल 2000 में मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद जब भारतीय क्रिकेट संकट में था तब गांगुली ने टीम की कमान संभाली और टीम को संभाला. जब वह कप्तान बने भारत की टेस्ट रैंकिंग 8 थी. जब वह कप्तानी से रिटायर हुए तो भारत दूसरे पायदान की टीम था.
पाकिस्तान के खिलाफ लगाया दोहरा शतक
गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद सन 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ 239 रन बनाए. बैंगलोर में खेली गयी यह पारी उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का एकमात्र दोहरा शतका है.
ब्रायन लारा हैं पसंदीदा कप्तान
साल 2000 से 2005 के बीच सौरव की कप्तानी में भारत ने 21 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की थी. गांगुली के पसंदीदा कप्तान वेस्टइंडीज के धाकड़ बल्लेबाज ब्रायन लारा हैं.
फुटबॉल के फैन
सौरव गांगुली फुटबॉल के बड़े फैन रहे हैं और उनका पहला प्यार भी. एक बार स्कूल की 10 दिनों की छुट्टी में उनके पिता ने सौरव को क्रिकेट एकेडमी में दाखिला दिला दिया जिसके बाद उनको क्रिकेट से प्यार हो गया और क्रिकेट का बड़ा सितारा बन गएं.
गांगुली के नाम की सड़क
पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में सौरव के नाम पर डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क है.
सबसे ज्यादा बार मैन ऑफ द मैच बनने वाले दूसरे खिलाड़ी
वनडे में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द मैच रहने के मामले में सौरव गांगुली सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं. सचिन तेंदुलकर 62 बार मैन ऑफ द मैच बन चुके हैं जबकि गांगुली को 31 बार मैन ऑफ द मैच चुना गया है.
फिल्मी लव स्टोरी
गांगुली की पत्नी डोना मशहूर ओडिशी नृत्यांगना हैं. गांगुली और डोना पड़ोसी थे और दोनों ने घरवालों की मर्जी को बिना बताए शादी की थी. बाद में परिवार ने इस रिश्ते को मंजूर कर लिया.