केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पारित करवा लिया है. मगर इस के बाद भी अभी यह तय नहीं है कि यह कानून कब से लागू होगा. इस कानून को लागू कराने में 2 बाधाएं पार करना अभी बाकी है. पहली बाधा जनगणना और दूसरी बाधा चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन है.

भारत में हर 10 साल के बाद जनगणना होती है. 2021 में यह जनगणना कोविड के कारण नहीं हुई. कोविड के बाद सबकुछ पटरी पर आ गया। कई राज्यों में चुनाव भी हो गए पर जनगणना के बारे में फैसला नहीं हो सका है.

जनगणना के लिए नैशनल पौपुलेशन रजिस्टर को ठीक करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 के बीच होना था. इस दौरान कोरोना महामारी की वजह से उस समय इस को टाल दिया गया. तब से लगातार यह टलता जा रहा है. जनगणना कराने वाले औफिस औफ रजिस्ट्रार ऐंड सैंसस ने सभी राज्यों को 30 जून, 2023 तक प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज करने को कहा था. इस के 3 माह के बाद जनगणना शुरू हो सकती थी.

30 सितंबर, 2023 तक जनगणना शुरू नहीं हो पाएगी. कब तक शुरू हो पाएगी, यह जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव का समय करीब आ रहा है. इस के बीच जनगणना संभव नहीं लग रही. इस का मतलब यह है कि अब जनगणना का काम लोकसभा चुनाव के बाद होगा. जनगणना में 1 से 2 साल का समय लगता है. इस तरह से 2025-2026 तक ही यह काम पूरा हो पाएगा. जनगणना में देरी का प्रभाव चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन पर पङेगा. इस वजह से महिला आरक्षण लागू होना दूर की कौड़ी लग रहा है. 2029 से पहले इस की संभावना न के बराबर है.

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