जिन संस्थाओं पर जनता भरोसा करती है और जहां उसे लगता है कि मामले की जांच सही तरह से नहीं की जा रही है तो मांग की जाती है कि फलां संस्था से जांच कराई जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. अगर जनता अपनी भरोसमंद संस्था के बारे मे ऐसा सोचती है तो वह मुगालते में है.
देश की खुफिया एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो औफ इंवेस्टीगेशन [सीबीआई] के बारे में लोगों का ऐसा ही सोचना है पर इस संस्था में इतना ही भ्रष्टाचार व्याप्त है जितना किसी भी अन्य सरकारी विभाग में.
सीबीआई भी ऐसी ही संस्था है जिस में अंदरूनी काले कारनामों का समयसमय पर खुलासा होता रहा है. ताजा मामला सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच झगड़े का है. इस झगड़े के पीछे घूसखोरी है. दो दिन पहले राकेश अस्थाना पर मीट व्यापारी मुईन कुरैशी से साढे तीन करोड़ रुपए घूस का आरोप सामने आया था. अब अस्थाना के नेतृत्व वाली एसआईटी के डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया है.
आरोप है कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक कुमार को फंसाने के लिए देवेंद्र कुमार ने हैदराबाद के एक कारोबारी सतीश बाबू सना का फर्जी बयान दर्ज किया था. सीबीआई ने 15 अक्तूबर को राकेश अस्थाना, देवेंद्र कुमार और अन्य के खिलाफ घूसखोरी का मामला दर्ज किया था.
सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना के खिलाफ 6 मामलों में एफआईआर दर्ज की हैं. दर्ज मामले में सीबीआई ने वडोदरा भेज कर कई कारोबारियों से पूछताछ की है. मामला स्टर्लिंग बायोटेक के 5000 करोड़ रुपए के केस का है. इस कंपनी में अस्थाना का बेटा काम करता है. राकेश अस्थाना पर तीन करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है.
उधर अस्थाना ने भी आलोक वर्मा पर मीट व्यापारी मोइन कुरैशी के मामले में दो करोड़ रुपए घूस लेने का आरोप लगाया है. इस से पहले 24 अगस्त को अस्थाना ने सीवीसी को पत्र लिख कर वर्मा पर सतीश बाबू सना से दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था. इस के बाद दोनों उच्च अधिकारियों के बीच टकराव खुल कर सामने आ गया.
स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना ने अपने ही निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी को करीब एक दर्जन मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायतें भेजी थीं. शिकायतों की प्रति कैबिनेट सचिव के पास भी भेजी गईं.
दरअसल अस्थाना की टीम हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू की मोइन कुरैशी के साथ हुई 50 लाख रुपए के लेनदेन की जांच कर रही थी. आरोप है कि डीएसपी देवेंद्र कुमार ने सना का फर्जी बयान दर्ज कर लिया. सना ने इस बयान में रिश्वत देने की बात कबूली थी. साथ ही कहा था कि उस ने जून में टीडीपी के राज्यसभा सांसद सीएम रमेश के जरिए सीबीआई डायरेक्टर से बात की थी. उन्होंने भरोसा दिया था कि अब उसे तलब नहीं किया जाएगा. यह बयान 26 सितंबर 2018 को दिल्ली में दर्ज हुआ था लेकिन सीबीआई जांच में पता चला कि उस दिन सना हैदराबाद में था.
सीबीआई अधिकारियों पर सरकार की शह पर काम करने के आरोप लगते रहे हैं. पिछली संप्रग सरकार के समय भी सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के बंगले पर कोयला खदान आवंटन घोटाले के आरोपियों के बेरोकटोक आनेजाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था. इस में टूजी समेत भ्रष्टाचार के मामलों के आरोपी थे. वकील प्रशांत भूषण ने बंगले पर रजिस्टर में दर्ज आनेजाने वाले आरोपियों के नामों की प्रति अदालत को सौंपी थी.
रंजीत सिन्हा के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज किया गया था. समयसमय पर सीबीआई को अदालतों की फटकार पड़ती रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कोयला खदान मामले की जांच रिपोर्ट के मूल तत्व में बदलाव को ले कर सरकार और सीबीआई की तीखी आलोचना की थी और कहा था कि सीबीआई तो पिंजरे में बंद तोते जैसी है.
सीबीआई जैसी प्रमुख संस्था के अफसरों की कार्यप्रणाली की निगरानी सीवीसी जैसी संस्था करती है. सीवीसी के सुझावों से सीबीआई में निष्पक्ष और ईमानदार अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं लेकिन मामला उलटा है.
सीबीआई अधिकारियों पर सरकारों और नेताओं के इशारे पर काम करने के आरोप लगते रहे हैं. राकेश अस्थाना पर भी आरोप है कि वह हमेशा सत्ताधारी नेताओं के करीब रहे हैं. अस्थाना की नियुक्ति के बाद वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.
सीबीआई वह संस्था है जो ताकतवर लोगों के भ्रष्टाचार की जांच करती है. इस के अपने ही शीर्ष अधिकारियों के झगड़े से इस संस्था की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है.
देश में किसी भी विभाग, अधिकारी पर जिम्मेदारी तय नहीं है. अधिकारी अपनी जिम्मेदारी केवल सरकार और अपने आका के प्रति समझते है. ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए देश की सरकारें और अधिकारियों के आकाओं के चेहरे सामने आते रहे हैं. जब चोर और पुलिस दोनों मिल कर लूटने लगे तो उन का कौन क्या बिगाड़ सकता है.