वैलेंटाइंस डे के खिलाफ हर साल 14 फरवरी के दिन तथाकथित संस्कृति और धर्म के ठेकेदार संगठन मोरल पुलिसिंग के लिए एंटी रोमियो मिशन पर निकल पड़ते हैं. वे वैलेंटाइंस डे का मतलब भले न समझें लेकिन युवाओं को इस से दूर रहने का फरमान ऐसे सुनाते हैं मानो वैलेंटाइंस डे मनाते ही किसी तरह का कोई पतन हो जाएगा, संस्कृति को जंग लग जाएगा,रोमांस से देश का आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक विकास थम जाएगा. यदि कोई वाकई प्रेम का उत्सव मनाना चाहे तो उस में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

बंदिशें तोड़ सीखें प्यार की जबान

यूथ को इन धार्मिक और कट्टर बंदिशों की परवा न करते हुए दिल की सुननी चाहिए. प्यार, स्वच्छंदता और सौहार्द के उत्सव वैलेंटाइंस डे को दिल खोल कर मनाना चाहिए. फैस्टिवल कोई भी हो, किसी भी देश का हमें तो उसे उस की उन्मुक्त शैली और सकारात्मकता के लिए मनाना चाहिए. जब तक यूथ अपने दिल की करना और सुनना शुरू नहीं करेगा, उसे अपने जीवन का लक्ष्य नहीं दिखेगा क्योंकि उस का संबंध भी दिल से है. वैलेंटाइंस अगर प्यार की भाषा समझाता है, तो इस में हमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

जिन देशों में यूथ को लव के बजाय हथियार की भाषा समझाई जाती है उन देशों की हालत खस्ता है. वहां का युवा बंदूक लिए आतंकी संगठनों से ट्रेनिंग ले रहा है. वह दोस्त, कैरियर और परिवार से दूर कुछ मौकापरस्त लोगों की बातों से ब्रेनवाश्ड हो कर अपनी जवानी में हिंसा और आतंक के शोले भर रहा है. अगर वैलेंटाइंस जैसे फैस्टिवल हर जगह मनाए जाने लगें तो युवाओं को गुमराह होने से रोका जा सकेगा. जिन युवा दिलों में एक बार प्रेम के बीज अंकुरित हो जाते हैं वहां फिर हिंसा की गुंजाइश नहीं रह जाती.

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