आप मुझे किसी भी नाम से बुला सकते हैं... धंधे वाली या वेश्या. समाज में मुझे कभी भी इज्जत की नजरों से नहीं देखा गया है. मेरे पास हर तरह के ग्राहक आते हैं, इसलिए मुझे थोड़ीबहुत अंगरेजी भी आती है.
मैं मुंबई के करीब ही 15 किलोमीटर के दायरे में एक जिले में रहती हूं. आप रेड लाइट एरिया नियर मुंबई शब्द डाल कर कंप्यूटर पर सर्च करेंगे तो मेरा यह इलाका आसानी से मिल जाएगा. यहां पर तकरीबन 800 औरतें इसी धंधे में लगी हैं.
यों तो हम समाज से अलगथलग रहती हैं पर हमें सब की खबर रहती है. सर्जिकल स्ट्राइक से ले कर ईवीएम घोटाले तक... कश्मीर में पत्थरबाजी से ले कर नक्सली इलाकों में औरतों से किए गए बलात्कार तक...
आप के साफसुथरे किरदार वाले समाज में हमारी जिंदगी के बारे में जानने की बड़ी इच्छा होती है, जैसे हमारा अतीत क्या था? हम कैसे इस दलदल में आईं? हमारी बातचीत का लहजा क्या है? हमारा पहनावा... हमारी अछूत सी जिंदगी... हमारे ग्राहक... और हमारे एचआईवी मरीज होने का डर... सबकुछ जानना चाहते हैं.
कुछ लोगों को लगता है कि यह धंधा आसानी से पैसा कमाने का सब से अच्छा तरीका है. लोगों को लगता है कि हम इस पेशे में मरजी से आई हैं.
मैं एक बात जानना चाहती हूं कि आप किसी भी साधारण औरत से पूछिए कि अगर कोई मर्द आप को गलत नजर से देखता है तो कितना गुस्सा आता है? आप कितना असहज महसूस करती हैं?
जब उस ने आप को छुआ नहीं सिर्फ देखा तो आप असहज हो जाती हैं, तो हमें यह सब कर के कैसे अच्छा लगता होगा? यह सोच जानबूझ कर बनाई गई है कि यह पेशा अच्छा लगने की वजह से फलफूल रहा है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन