बीए की पढ़ाई के दौरान रेखा और राजेश में प्यार हो गया था. वे दोनों कानपुर के रहने वाले थे और वहीं साथसाथ पढ़ रहे थे. पढ़ाई के बाद रेखा स्कूल में टीचर हो गई और राजेश अपनी नौकरी के लिए कोशिश करने लगा. रेखा पिछड़ी बिरादरी में सचान जाति की थी जबकि राजेश यादव बिरादरी से था.

नौकरी के बाद रेखा के घर वाले उस की शादी के लिए रिश्ता देखने लगे. तब रेखा ने अपने घर वालों को राजेश से अपने प्रेम संबंधों के बारे में बताया. रेखा के घर वाले इस के लिए तैयार नहीं थे. रेखा ने समझाया तो उस के घर वाले राजेश से भी मिले. राजेश उन को पसंद था.

रेखा के घर वाले अपनी बेटी के रिश्ते की बात करने राजेश के घर वालों से मिले तो वे लोग इस बात से खफा हो गए कि यादव लड़के की शादी सचान लड़की से कैसे हो सकती है? इस बात पर दोनों ही परिवारों में काफी बहस हुई.

रेखा सरकारी नौकरी में थी. ऐसे में राजेश के घर वालों को बाद में यह रिश्ता कबूल हो गया पर उस के रिश्तेदार इस के लिए राजी नहीं हुए.

रेखा और राजेश की शादी तो हो गई पर उस में राजेश की बिरादरी के बहुत से लोग और नातेरिश्तेदार शामिल नहीं हुए. शादी के बाद रेखा  ससुराल आ गई. यहां भी उस से अच्छा बरताव नहीं किया जाता था. ऐसे में वह शहर में ही किराए का घर ले कर रहने लगी.

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आज भी ससुराल की बाकी बहुओं के साथ रेखा का तालमेल अच्छा नहीं हो सका है. तीजत्योहार पर जब कभी वह ससुराल जाती भी है तो उसे भेदभाव झेलना पड़ता है.

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