बच्चे अपराधी क्यों बनते हैं? बाल अपराध क्यों जन्म लेते हैं? मनुष्य के अंदर हिंसक और अपराधी भाव क्यों जन्म लेते हैं? इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए हमें मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण करना होगा. इस के 2 मुख्य कारण हैं- स्वभावगत और परिवेशगत. इन 2 कारणों के कई उप कारण भी हो सकते हैं, परंतु अगर हम उपरोक्त दोनों कारणों को समग्र रूप से समझ लें, तो उप कारण अपनेआप ही स्पष्ट हो जाते हैं.

पहला: स्वभावगत कारण के मुख्य लक्षण होते हैं- बालक का उग्र और क्रोधी स्वभाव, जिद्दी और हठी होना, किसी चीज को प्राप्त करने के लिए अनुचित हठ, छोटीछोटी बातों पर हंगामा खड़ा करना, बातबात पर हिंसक आचरण आदि. ये लक्षण जब सीमा पार कर जाते हैं, तो अपराध का रूप धारण कर लेते हैं.

दूसरा: परिवेशगत कारण बहुत स्पष्ट होते हैं- अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, कुसंगति, आलस, लालच, अतिमहत्त्वाकांक्षा, कामचोरी, बिना श्रम के बहुत कुछ प्राप्त करने की चाह आदि.

अपराधी कोई भी हो, उस के आपराधिक लक्षण समयसमय पर परिलक्षित होते रहते हैं, परंतु परिवार और समाज उन्हें समय पर पहचान नहीं पाता या पहचान कर भी अनजान बना रहता है. जैसेकि मातापिता अत्यधिक लाड़प्यार में अपने बेटे की बुराइयों को उपेक्षित करते रहते हैं और बाद में बच्चों की बुराइयां उन्हें बड़े अपराध की तरफ आकृष्ट करती हैं. मातापिता को सुध तब आती है, जब पानी सिर के ऊपर से गुजर जाता है.

स्मार्ट फोन और इंटरनैट की सुविधा के कारण आज बच्चे सैक्स के प्रति विशेषरूप से आकृष्ट हो रहे हैं. जो बच्चे किसी कारणवश सैक्स से वंचित रहते हैं, वे कुंठित हो जाते हैं. आज बलात्कार के ज्यादातर मामलों में आरोपी और पीडि़त दोनों ही कमउम्र के यानी नाबालिग होते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...