दुनिया के सब से बड़े जहाज बैंजामिन फ्रैंकलिन ने 28 दिसंबर, 2015 को अमेरिका के लौस एंजिलस बंदरगाह पर जब लंगर डाला तो लोग उसे देख दंग रह गए. पहली बार इतना विशाल जहाज इस बंदरगाह पर पहुंचा था. इस के बाद 31 दिसंबर, 2015 को यह जहाज औकलैंड के बंदरगाह पर पहुंचा. बैंजामिन फ्रैंकलिन नामक इस कंटेनर जहाज का आकार अमेरिका की एंपायर स्टेट बिल्डिंग से लंबा और किसी फुटबौल के मैदान से चौड़ा है. इस की लंबाई 396 मीटर यानी 13 सौ फुट और चौड़ाई 177 फुट है. इस में 20 फुट लंबे 18 हजार कंटेनर एकसाथ रखे जा सकते हैं. यदि इस पर रखे कंटेनर्स को एक पंक्ति में रखा जाए तो वह दूरी 120 किलोमीटर होगी. इस की अधिकतम क्षमता 235 ओलिंपिक पूल यानी करीब 5 लाख 90 हजार क्यूबिक मीटर है. इस जहाज की ऊंचाई 197 फुट है, इस में लगे एंटीना की ऊंचाई आंकी जाए तो यह 230 फुट होती है.

यह जहाज इतनी बिजली पैदा करता है कि 16 हजार लोगों के घर रोशन किए जा सकते हैं, जोकि अपनेआप में ऊर्जा उत्पादन का उदाहरण है. इस का 78 फुट लंबा इंजन 900 फोर्ड फोकस कारों के बराबर ऊर्जा पैदा करता है और इस से पैदा होने वाला 21 नौट का धक्का 11 बोइंग 747-400 इंजन से निकली ऊर्जा के बराबर होता है. अब तक ऐसे जहाज एशिया से यूरोप के बीच व्यापार के लिए बनाए जाते थे, लेकिन यूरोपीय संघ में मंदी के बाद इस नए मार्ग का विकल्प ढूंढ़ा गया. लौस एंजिलस के बंदरगाह पर अब तक 8 से 10 हजार कंटेनर वाले जहाज ही लंगर डालते थे, लेकिन यह जहाज उन से दोगुना बड़ा है.

दुनिया का सब से बड़ा मालवाहक जहाज चीन का सीएससीएल ग्लोब है. इस की लंबाई 400 मीटर तथा चौड़ाई 54 मीटर है. 2013 में बने इस जहाज की क्षमता 1.84 लाख टन वजन की है. जनवरी, 2015 में जब यह जहाज पहली बार ब्रिटेन पहुंचा, तो सफौक के पोर्ट पर इसे देखने पहुंचे लोगों का जमघट लग गया. इस जहाज में हजारों कंटेनर थे, जिन में खानेपीने की सामग्री, कपड़े आदि थे जिन्हें ब्रिटेन में उतारा गया. 109 कंटेनरों में सोफा और फर्नीचर, 62 में फ्रिज और वाशिंग मशीनें, 144 में फुटवियर, 16 में बैग और 15 में खिलौने थे. सामान उतारने के बाद उस में विशालकाय 3,909 कंटेनर लोड किए गए और जहाज बेल्जियम और हैमबर्ग की ओर रवाना हो गया.

वर्तमान में दूसरे स्थान पर है डेनमार्क का मेगलबो मेयर्स. इस की लंबाई 398 मीटर व चौड़ाई 58 मीटर है. 2013 में बने इस जहाज की क्षमता 165 हजार टन है. दुनिया के सब से बड़े कंटेनर जहाज को टक्कर देने के लिए स्विट्जरलैंड की एक कंपनी एमएससी औस्कर कंटेनर जहाज का निर्माण कर रही है. इस की लंबाई 395.4 मीटर तथा चौड़ाई 56 मीटर होगी. इस की क्षमता 193 हजार टन वजन ढोने की होगी.

सामान ले जाने के लिए 1986 में निर्मित नौर्वेडियन खनिज वाहक कंटेनर वरजेस्टाइल की क्षमता 3,64,767 टन है जिसे दक्षिण कोरिया में नौर्वे के सिग वटगेसेव के लिए बनाया गया है. इस की लंबाई 343 मीटर तथा चौड़ाई 63.5 मीटर है. गौरतलब है कि सब से पहले 1955 में जहाजों में कंटेनर ले जाने आरंभ हुए जबकि टैंकर आइडियल ऐक्स को पालवोम मैकलीन, अमेरिका द्वारा बदला गया. यह पोत केवल डैक पर ही कंटेनर रख कर ले जाता था. अमेरिकन प्रैजिडैंट लाइंस ने प्रैजिडैंट एडमस, प्रैजिडैंट जैक्सन, प्रैजिडैंट पोल्क और प्रैजिडैंट टे्रमन नामक जहाज जरमनी में बनवाए. ये जहाज पोस्ट पनामाक्स के नाम से जाने जाते हैं. विशालकाय होने के कारण ये पनामा में वहन नहीं कर सकते. ये 275.4 मीटर लंबे और 41 मीटर चौड़े हैं.

ज्यादातर मालवाहक जहाजों का निर्माण चीन, डेनमार्क, फ्रांस और स्विट्जरलैंड में किया जाता है. विश्व का सब से ताकतवर देश समझा जाने वाला अमेरिका इस में बहुत पीछे है. दुनिया के सब से बड़े कंटेनर जहाजों में अमेरिका का एक भी कंटेनर जहाज शामिल नहीं है. आप को जान कर हर्ष होगा कि भारत में भी ऐसे बड़े 2 जहाज हैं. शिपिंग कौर्पोरेशन औफ इंडिया ने दक्षिण कोरिया की कंपनी हुंडे सेम्हो हैवी इंडस्ट्री के साथ 2 कंटेनर शिप निर्माण का अनुबंध किया था, जोकि 2008 में भारत को प्राप्त हुए.            

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