अगर आप की आवाज में कुछ खास है और आप में अलग कैरियर बनाने का जज्बा है तो आप की आवाज आप को नौकरी, पैसा और शोहरत दिला सकती है. इस के लिए आप को बनना होगा डबिंग आर्टिस्ट. इसे वौइस आर्टिस्ट या वौइस ओवर आर्टिस्ट भी कहते हैं. इस कैरियर के जरिए आप अच्छी कमाई के साथसाथ मनोरंजन की दुनिया में अपना नाम और खासा मुकाम भी हासिल कर सकते हैं. वैसे तो फिल्मों में हीरोहीरोइन अपने डायलौग अपनी ही आवाज में डब करते हैं, लेकिन कई बार भाषाई समस्या के कारण वे अपनी आवाज में डब नहीं कर पाते. लिहाजा, ऐसे में डबिंग आर्टिस्ट की सेवाएं ली जाती हैं.

श्रीदेवी से ले कर कैटरीना कैफ तक अपने कैरियर की शुरुआत में हिंदी न बोल पाने के कारण अपने डायलौग डबिंग आर्टिस्ट से ही डब कराते थे. ऐसे में इस कैरियर के जरिए आप भी किसी दिन इन की या इन जैसी बड़ी हस्तियों की आवाज बन सकते हैं.

अभिनेता विवेक ओबेराय ऐक्टर बनने से पहले यही काम किया करते थे. वे रेडियो नाटकों और रेडियो स्पौट के लिए अपनी आवाज देते थे. करीब 6 साल तक उन्होंने बतौर वौइस आर्टिस्ट काम किया. कम लोगों को पता होगा कि राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘सत्या’ के इंगलिश वर्जन के लिए फिल्म के हीरो जे डी चक्रवर्ती के लिए विवेक ने ही डब किया था. शायद इसी रास्ते उन्हें राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘कंपनी’ में चंदू का कालजयी किरदार मिला हो. इस लिहाज से कह सकते हैं कि डबिंग आर्टिस्ट के इस काम ने तो विवेक ओबेराय के लिए सुपर स्टार बनने का रास्ता खोल दिया. विवेक की तरह कई किशोर इस राह में कैरियर बना रहे हैं.

फिल्म, नाटक, रेडियो और टीवी में अवसर

डबिंग आर्टिस्ट के लिए अवसर ही अवसर हैं. आकाशवाणी, दूरदर्शन, टीवी चैनल्स, प्रोडक्शन हाउस, एफएम रेडियो, विज्ञापन, डौक्यूमैंट्री फिल्म, एनिमेशन वर्ल्ड, औडियो बुक की डबिंग के अलावा मोबाइल में कौलरट्यून की डबिंग में बतौर वौइस ओवर आर्टिस्ट डिमांड है. आज के दौर में डबिंग काफी प्रचलित और कमाऊ कैरियर का नया विकल्प बन कर उभरा है. सालों से डबिंग क्षेत्र में काम कर रहे शक्ति सिंह के मुताबिक फिल्म में डबिंग आर्टिस्ट की आवाज की भूमिका एक कलाकार की ही तरह होती है. इसलिए इस काम को कमतर नहीं आंकना चाहिए. कई बार तो इस काम के जरिए उतनी कमाई हो जाती है जितनी अभिनय करने वाले कई चरित्र कलाकारों की भी नहीं होती.

टीवी और फिल्मों का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है. भोजपुरी और साउथ इंडियन फिल्में जम कर डब की जा रही हैं. पहले यह काम टीवी के लिए होता था पर अब कई बड़ी तमिल और तेलुगू फिल्में रिलीज के समय ही मूल भाषा के साथ, इंगलिश, हिंदी समेत कई भाषाओं में रिलीज होती हैं. इतना ही नहीं भोजपुरी, पूर्वांचली और अवधी में भी डबिंग हो रही है. जाहिर है इस से वौइस आर्टिस्ट पर निर्भरता बढ़ती है और मिलने वाला पैसा भी.

डबिंग आर्टिस्ट की विभिन्न टीवी चैनल्स, प्रोडक्शन हाउस, रेडियो, डौक्यूमैंट्री फिल्म्स और नाटकों में जोरदार मांग रहती है. रेडियो के लगभग सभी कार्यक्रम आवाज की दुनिया के लोगों पर ही टिके हैं, रेडियो और एफएम में डबिंग कलाकार का विशिष्ट महत्त्व है. कई प्रोग्राम ऐसे आते हैं जहां हवामहल कार्यक्रम की तर्ज पर कहानियां सुनाने के लिए किसी अच्छे डबिंग आर्टिस्ट की जरूरत पड़ती है. इसी आवाज के कारण श्रोताओं को रेडियो सुनने का मजा आता है. ऐसे ही टीवी पर कई कार्यक्रमों में वौइस ओवर यानी परदे के पीछे से आने वाली आवाज के लिए उन की जरूरत पड़ती है.

इस के अलावा प्राइवेट स्टूडियो व कई डबिंग कंपनियां हैं, जो आप को इस क्षेत्र में आने का मौका देती हैं. आप एक फ्रीलांसर के रूप में डबिंग आर्टिस्ट के तौर पर अपना कैरियर आगे बढ़ा सकते हैं. डिस्कवरी, हिस्ट्री, एनिमल प्लेनेट व नैशनल जियोग्राफिक जैसे बहुभाषीय चैनल डबिंग आर्टिस्टों की बदौलत ही तो चल रहे हैं.

सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रीय भाषा के जानकारों के लिए भी इस क्षेत्र में अवसरों की कमी नहीं है. शक्ति सिंह के मुताबिक पहले भारत में डबिंग आर्टिस्ट को उतना महत्त्वपूर्ण नहीं समझा जाता था और प्रोड्यूसर डबिंग आर्टिस्ट पर पैसे खर्च करने को भी तैयार नहीं होते थे लेकिन अब हालात कुछ बदले हैं. अब बतौर कैरियर इस में भविष्य सुनहरा दिखता है.

कार्टून, गाने और जिंगल्स

भारत में कार्टून चैनल्स में वौइस आर्टिस्ट का सब से ज्यादा काम पड़ता है. बच्चों का सब से पसंदीदा चैनल है कार्टून चैनल. आजकल कई भारतीय कंपनियां कार्टून बनाती हैं. इन कार्टून कलाकारों में जान फूंकती है डबिंग कलाकारों की आवाज.

एनीमेशन में बने सारे सीरीज डब होते हैं, जहां 2 साल के बच्चे से ले कर किशोर, युवा तक सब छोटा भीम और डोरेमौन जैसे लोकप्रिय किरदारों को अपनी आवाज देते हैं. इन में बच्चों और किशोरों की आवाज में वैराइटी होती है. वे कई बार एक ही सीरियल में कई कार्टून किरदारों को डब कर लेते हैं.

इसी तरह विज्ञापन में भी वौइस आर्टिस्ट की जबरदस्त डिमांड है. एक कंपनी जब विज्ञापन बनाती है तो वह उसे केवल एक भाषा में बनाती है, लेकिन डबिंग आर्टिस्ट द्वारा डबिंग करवा कर उसे अनेक भाषाओं में रिलीज किया जाता है.

विज्ञापन में इस्तेमाल किए जाने वाले गीतसंगीत को जिंगल्स कहते हैं. इस में 30-40 सैकंड्स का एक गीत कई बार विज्ञापनों को आकर्षक बना देता है. कैलाश खेर ने भी अपने कैरियर में जिंगल्स गाए थे. सुरीली आवाज वाले वौइस आर्टिस्ट इस में भी

हाथ आजमा सकते हैं. इसी तर्ज पर जब फिल्म को दूसरी भाषा में डब किया जाता है तो उस के गाने भी डब करने पड़ते हैं और इस के लिए हर सिंगर की नहीं बल्कि अच्छी आवाज वाले डबिंग आर्टिस्ट की भी सेवाएं ली जाती हैं.

कमाई भी है जोरदार

डबिंग आर्टिस्ट डेली बेस, फ्रीलांसर और कौंटै्रक्ट के तौर पर काम कर सकते हैं इसलिए कार्य के समय और आय की कोई सीमा नहीं है. फिर भी सामान्य तौर पर एक डबिंग आर्टिस्ट प्रतिदिन 10 से 25 हजार तक कमा सकता है. जैसेजैसे उस का तजरबा बढे़गा आय भी उसी अनुपात में बढ़ती चली जाती है. यदि आप कौंट्रैक्ट पर काम करते हैं, तो लगभग 40 से 50 हजार रुपए प्रतिमाह तक कमा सकते हैं. फिल्मों के छोटे किरदार मसलन जज, वकील, पुलिस आदि के लिए 1,500 से 5 हजार रुपए तक आसानी से मिल जाते हैं. वहीं अगर हीरो या हीरोइन की डबिंग कर रहे हैं तो 1 लाख से 5 लाख रुपए तक का अमाउंट मिल जाता है. विदेशी डौक्यूमैंट्री के लिए भी अच्छी रकम मिलती है.

तकनीकी पहलू भी जानें

डबिंग आर्टिस्ट को कुछ तकनीकी जानकारियों का ज्ञान होना भी जरूरी है. जैसे माइक संबंधी जानकारी. अच्छी आवाज के साथ कलाकार को माइक की तकनीक का भी ज्ञान होना चाहिए. माइक को हैंडिल करने के अलावा उस में कितनी दूर या नजदीक से बोल कर डबिंग की जाए, यह जानना भी बहुत जरूरी है. यह सब प्रशिक्षण संस्थानों में सिखाया जाता है. इस के अलावा डबिंग के 2 तरीके हैं, पहला, पैरा डबिंग और दूसरा लिपसिंग.

पैरा डबिंग में आर्टिस्ट को औडियो या वीडियो पर बिना ज्यादा ध्यान दिए अनुमान के मुताबिक डबिंग करनी होती है, जबकि लिपसिंग में कैरेक्टर के होंठों को पढ़ कर, उच्चारण को मैच करते हुए डबिंग करनी होती है. उदाहरण के तौर पर कई हिंदी न्यूज चैनल किसी विदेशी या फिल्मी हस्तियों की बाइट को हिंदी में दिखाने के लिए उसे पैराडब करते हैं. वहीं जब किसी मूल लैंग्वेज में डब करना होता है तो लिपसिंग की जरूरत पड़ती है. लिपसिंक तकनीक ज्यादातर कलाकार अपने डायलौग डब करने में प्रयोग करते हैं. साथ ही डबिंग कलाकार के लिए यह भी आवश्यक है कि वह अपने चरित्र को समझे. उस के हावभाव, सिचुएशन और संवाद के अनुसार डबिंग करे.

क्या हो योग्यता

यों तो डबिंग आर्टिस्ट के लिए अच्छी और वैराइटी वाली आवाज के अलावा किसी खास योग्यता की जरूरत नहीं होती, फिर भी भाषाई ज्ञान के साथसाथ देशदुनिया की जानकारी होना जरूरी है. इस के अलावा बोलने की तकनीक, चरित्र के भाव को, उस के मूड को पकड़ कर बोलना, आवाज में स्पष्टता के अलावा शुद्ध उच्चारण करने की क्षमता होनी चाहिए. बीते कुछ समय से बतौर डबिंग आर्टिस्ट कैरियर बनाने के लिए कई तरह के संस्थानों ने कोर्स भी शुरू किए हैं. इन संस्थानों में डबिंग आर्टिस्ट का प्रशिक्षण पाने के लिए कम से कम 10वीं पास अभ्यर्थियों की मांग होने लगी है.

जब भी किसी प्रोडक्शन हाउस अथवा स्टूडियो में काम मांगने जा रहे हों तो अपने द्वारा डब किए गए जौब का इंटरव्यू, अपनी आवाज का सैंपल ले जाएं. आप प्रोग्राम की सीडी बना सकते हैं. साथ ही इस फील्ड के लोगों से भी मिल सकते हैं और उन का मार्गदर्शन ले सकते हैं. यदि कहीं रिज्यूमे भेज रहे हैं तो उस में अपने अनुभव और कार्य का उल्लेख अवश्य करें. संभव हो तो साथ में अपने डबिंग किए गए प्रोग्राम की सीडी भी अटैच कर दें.                                              

कहां से लें प्रशिक्षण

इस में डिग्रीडिप्लोमा तो नहीं, लेकिन सर्टिफिकेट इन वौइस ओवर ऐंड डबिंग जैसे कोर्स बाकायदा कराए जा रहे हैं. यह कोर्स मात्र एक महीने से 6 महीने के बीच के होते हैं. इस के लिए कई ऐसे संस्थान हैं जो 10 से ले कर 25 हजार रुपए की फीस ले कर डबिंग के शौर्टटर्म कोर्स करवाते हैं. इन की वैबसाइट पर विस्तृत जानकारी मिल जाएगी.

कोर्स करवाने वाले संस्थान

–       भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली.

–       डिजायर्स ऐंड डैस्टिनेशन, मुंबई.

–       मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय.

–       ईएमडीआई इंस्टिट्यूट, मुंबई.

–       एआरएम रेडियो अकादमी.

–       द वायस स्कूल, मुंबई.

–       लाइववार्स (कैरियर इंस्टिट्यूट इन ब्रौडकास्टिंग     फिल्म), मुंबई.

–       मूविंग मीडिया वर्कशौप.

–       जेवियर इंस्टिट्यूट औफ कम्युनिकेशन, मुंबई.

–       एकैडमी औफ रेडियो मैनेजमैंट, हौजखास, नई दिल्ली.

–       एशियन एकैडमी औफ फिल्म ऐंड टैलीविजन, नोएडा.

–       आईसोम्स बैग फिल्म्स, नोएडा.

–       एशियन एकैडमी औफ फिल्म ऐंड टैलीविजन, नोएडा

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